बस्ती। जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में मासूम मरीजों के इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। ठंड के चलते मरीज बच्चों की संख्या ज्यादा होने के कारण एक पर दो को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। तीमारदार बाहर जमीन पर चद्दर आदि बिछाकर देखभाल करने को मजबूर हैं।
चिल्ड्रेन वार्ड में बेडों की संख्या सिर्फ 25 है। गर्मी और ठंड के दिनों में वार्ड में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हो जाता है। इससे मासूम मरीजों के इलाज में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। सोमवार को वार्ड में 50 से अधिक मासूम भर्ती थे। इसके चलते कई बेडों पर दो या तीन मरीजों को लिटाकर इलाज किया जा रहा है। इनमें टेमा की शमा परवीन, कलवारी की प्रमिला, समीना, सोनहा का आशुतोष, वाल्टरगंज की रंजल, जगदीशपुर की रेहाना सहित अन्य हैं। इनमें से अधिकांश कोल्ड डायरिया, निमोनिया आदि से परेशान हैं। मरीजों के परिवार वालों ने बताया कि डॉक्टर अधिकतर दवाएं बाहर की लिख रहे हैं। ऐसे में सरकारी अस्पताल में आने का क्या फायदा।
जिला अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ व वार्ड के प्रभारी डॉक्टर एसके गौड़ ने बताया कि इन दिनों मौसम के तेवर से मासूमों को कोल्ड डायरिया, निमोनिया, खांसी आदि ने जकड़ रखा है। पूछने पर बताया कि बेडों की संख्या कम होने से इलाज में दिक्कत होती है। इसके लिए कई बार अस्पताल प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है। मगर स्थिति जस की तस है। बाहर से दवा लिखने के सवाल पर कहा कि जो दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती मरीजों के हित में मजबूर होकर उनको बाहर से लिखा जाता है। जिला अस्पताल के कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डॉ. मोहिबुल्लाह सिद्दीकी ने बताया कि चिल्ड्रेन वार्ड में बेडों की संख्या बढ़ाने का प्रबंध किया जाएगा।
बस्ती। जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में मासूम मरीजों के इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। ठंड के चलते मरीज बच्चों की संख्या ज्यादा होने के कारण एक पर दो को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। तीमारदार बाहर जमीन पर चद्दर आदि बिछाकर देखभाल करने को मजबूर हैं।
चिल्ड्रेन वार्ड में बेडों की संख्या सिर्फ 25 है। गर्मी और ठंड के दिनों में वार्ड में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हो जाता है। इससे मासूम मरीजों के इलाज में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। सोमवार को वार्ड में 50 से अधिक मासूम भर्ती थे। इसके चलते कई बेडों पर दो या तीन मरीजों को लिटाकर इलाज किया जा रहा है। इनमें टेमा की शमा परवीन, कलवारी की प्रमिला, समीना, सोनहा का आशुतोष, वाल्टरगंज की रंजल, जगदीशपुर की रेहाना सहित अन्य हैं। इनमें से अधिकांश कोल्ड डायरिया, निमोनिया आदि से परेशान हैं। मरीजों के परिवार वालों ने बताया कि डॉक्टर अधिकतर दवाएं बाहर की लिख रहे हैं। ऐसे में सरकारी अस्पताल में आने का क्या फायदा।
जिला अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ व वार्ड के प्रभारी डॉक्टर एसके गौड़ ने बताया कि इन दिनों मौसम के तेवर से मासूमों को कोल्ड डायरिया, निमोनिया, खांसी आदि ने जकड़ रखा है। पूछने पर बताया कि बेडों की संख्या कम होने से इलाज में दिक्कत होती है। इसके लिए कई बार अस्पताल प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है। मगर स्थिति जस की तस है। बाहर से दवा लिखने के सवाल पर कहा कि जो दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती मरीजों के हित में मजबूर होकर उनको बाहर से लिखा जाता है। जिला अस्पताल के कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डॉ. मोहिबुल्लाह सिद्दीकी ने बताया कि चिल्ड्रेन वार्ड में बेडों की संख्या बढ़ाने का प्रबंध किया जाएगा।