{"_id":"619d4704cdb46e5c7c6d64d3","slug":"reaction-to-the-court-s-decion-powayan-news-bly4671024156","type":"story","status":"publish","title_hn":"जांच अधिकारी ने पलट दिया था मामला","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
जांच अधिकारी ने पलट दिया था मामला
बरेली ब्यूरो
Updated Thu, 25 Nov 2021 12:06 AM IST
शाहजहांपुर। अवधेश के रिश्तेदार और एडवोकेट ज्ञानदेव दीक्षित ने बताया कि जांच अधिकारी से सांठगांठ कर पूरा मामला ही पलट दिया गया था। इस दौरान उन्होंने अवधेश को कानूनी लड़ाई में पूरा सपोर्ट किया। गवाह दिनेश ने झूठी गवाही देते हुए कहा था कि गोली की आवाज सुनने पर जब वह मौके पर गया तो अवधेश राइफल लिए हुए था और उसकी नाल से धुआं निकल रहा था। अवधेश ने उससे कहा कि उसने अपनी बेटियों की हत्या कर दी है। इसी बयान के आधार पर अवधेश को पुलिस ने जेल भेज दिया था। बाद में उनके प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने 20 अगस्त 2015 को आरोपियों को कोर्ट में तलब किया था।
बेटियों की हत्या के दो माह बाद हुई थी पिता की जमानत
सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा ने बताया कि 19 साल पहले अंधाधुंध गोलियां चलाकर तीन बच्चियों के हत्या करने वालों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है। जोकि एकदम सही फैसला है। 15 अक्तूबर 2002 की रात निगोही थाना क्षेत्र के जेवा मुकुंदपुर गांव में यह घटना हुई थी। इसमें पहले वादी को ही दोषी करार दे दिया गया था और जेल जाना पड़ा। दो महीने बाद जमानत हुई और न्यायालय में बयान हुए। फिर वादी व मुल्जिमानों के खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ। न्यायालय ने पाया कि वादी निर्दोष है और तलब किए गए मुल्जिमान दोषी हैं। अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है।
यह थी हमले की वजह
सन 1999 में गांव के रजनीश को गोली मारने के मामले में छुटकन्नू, उसके बेटे नरवेश और एक अन्य को पुलिस ने नामजद किया था। इस मामले में अवधेश गवाह था। मुकदमा चलने के दौरान गवाही देने से पहले अवधेश को आरोपियों ने अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। बगैर घबराए अवधेश ने हर हाल में गवाही देने की बात कही तो उसे मारने के लिए 2002 को उसके घर में हमला किया गया, जिसमें उसकी तीन बेटियों की जान चली गई। हालांकि बाद में तीनों लोगों को जानलेवा हमले में दस साल की कैद हुई थी।
थाना प्रभारी ने पीड़ित की राइफल से किया था फायर
अवधेश ने बताया कि तत्कालीन थाना प्रभारी होशियार सिंह ने उसे फंसाने के लिए उसकी लाइसेंसी राइफल से वारदात के बाद खुद फायर कर दिया था। बाद में उसकी राइफल जब्त कर उसे जेल भेज दिया था।
एसपी का दावा, पुलिस ने की प्रभावी पैरवी
एसपी एस. आनंद ने बताया कि तीन बच्चियों की हत्या का मुकदमा काफी समय से चल रहा था। उनके समय में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वाद का शीघ्र निस्तारण कराने तथा अभियोग में प्रभावी पैरवी के निर्देश दिए गए थे। प्रभावी के मद्देनजर जिला शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा के मद्देनजर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट सं.-43 द्वारा राजेंद्र और नरवेश को मृत्युदंड की सजा से दंडित किया गया है।
फैसले से संतुष्ट नहीं, जाएंगे हाईकोर्ट
दोषियों के अधिवक्ता रामखिलावन त्रिपाठी ने बताया कि वह फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। कोर्ट के फैसले से वह संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा साबित नहीं हुआ है कि दोषी करार दिए गए लोगों का बच्चियों की हत्या का कोई इरादा था।
विज्ञापन
बैरक नंबर चार में हैं दोषी राजेंद्र और नरवेश
जेल अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया कि दोषी राजेंद्र बुजुर्ग है। राजेंद्र लंबे समय से जेल में बंद है। उसकी जमानत नहीं हुई थी। नरवेश जमानत पर बाहर था। फैसला आने के बाद उसको जेल में दाखिल किया गया है। बैरक नंबर चार में राजेंद्र और नरवेश को रखा है। चूंकि दोनों को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई है, इसलिए उन पर विशेष नजर रखी जा रही है। दोषियों के पास उच्च अदालत में अपील करने का अधिकार है।
यह है आईपीसी की धारा 194
बच्चियों के पिता अवधेश को हत्याकांड में फंसाने के लिए झूठी गवाही देने और सुबूत गढ़ने में तत्कालीन जांच अधिकारी होशियार सिंह और दिनेश कुमार के खिलाफ अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 194 के तहत केस चलाया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णकुमार सक्सेना ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 194 के अनुसार जो कोई मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दोषसिद्ध कराने के आशय से दोष सिद्ध कराएगा, यह जानते हुए झूठा साक्ष्य देगा या गढ़ेगा तो उसे आजीवन कारावास या किसी अवधि के लिए कठिन कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दंडित किया जाएगा। वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
इंस्पेक्टर के इंजीनियर हत्याकांड में शामिल होने की चर्चा
शाहजहांपुर। पुलिस महकमे में चर्चा है कि इंस्पेक्टर होशियार सिंह 23 दिसंबर 2008 की रात औरैया में हुए इंजीनियर मनोज गुप्ता हत्याकांड में भी शामिल था। इसमें उन्हें छह मई 2011 को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके फरार होने पर मथुरा स्थित आवास की कुर्की भी की गई थी। संवाद
बाद में उन्हें जेल जाना पड़ा था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि यह वहीं इंस्पेक्टर होशियार सिंह हैं या नहीं। एसपी एस. आनंद ने बताया कि 19 साल पहले जिले में इंस्पेक्टर होशियार सिंह की तैनाती के संबंध में जानकारी की जा रही है। अदालत का आदेश मिलने पर उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
श्रीपाल वर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता- फोटो : SHAHJAHANPUR
वकील ज्ञानदेव ।- फोटो : SHAHJAHANPUR
जेल अधीक्षक बीडी पांडेय- फोटो : SHAHJAHANPUR
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।