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जिला अस्पताल की इमरजेंसी में जीवन रक्षक दवाएं नहीं
बरेली
Published by:
Updated Thu, 20 Jul 2017 01:22 AM IST
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में जीवन रक्षक दवाएं नहीं
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हार्ट अटैक और बीपी के मरीज हो रहे परेशान पिछले काफी दिनों से बनी हुई है दवाओं की किल्लत अमर उजाला ब्यूरो बरेली। अगर आपके हृदय में तेज पीड़ा हो रही है या फिर ब्लड प्रेशर हाई है तो त्वरित इलाज की इच्छा से जिला अस्पताल की इमरजेंसी में न आएं, क्योंकि यहां कई जीवन रक्षक दवाएं नहीं हैं, जिससे मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो गया है, डॉक्टर भी परेशान हैं। उधर, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि उनके स्टोर में दवाओं की भरमार है। जिला अस्पताल में पिछले नौ माह से दवाओं की किल्लत है। पहले दवा कंपनियों पर बकाया अधिक हो गया था इसलिए दवाएं नहीं आ रही थीं। शासन ने कुछ दवाएं खरीदने के लिए धनराशि भेजी थी, लेकिन उससे बकाया नहीं चुकाना था। दवाओं की किल्लत बढ़ी तो कंपनी ने दवा सप्लाई करने की सहमति दे दी थी। इसके बाद दवाओं की खरीद भी हुई। उधर, शासन की ओर से साफ्टवेयर चेंज किया गया है जिसकी वजह से फिर दवा खरीद में दिक्कत हो रही है, लेकिन फिर भी कुछ जरूरी दवाएं अस्पताल प्रशासन की ओर से खरीदी गई हैं। इनमें इमरजेंसी की दवाओं का स्टाक पर्याप्त होने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में दावा फेल है। इमरजेंसी के स्टाफ ने बताया कि रोजाना इंडेंट रजिस्टर में दवाएं लिखी जा रही हैं। कुछ दवाएं तो दो माह से नहीं हैं। मरीज के साथ स्टाफ भी परेशान है। डॉक्टर खुद मरीजों का इलाज कर पाने में असहाय हैं। इन जरूरी दवाआें का है अकाल हार्ट अटैक- सॉरबिट्रेट दवा को जीभ के नीचे रखते ही हृदयाघात की संभावना कम हो जाती है। यह एक माह से इमरजेंसी में नहीं है। डायबिटीज- तुरंत शुगर जांचनेे को ग्लूको मीटर का प्रयोग करते हैं और इलाज शुरू होता है। यह तीन माह से नहीं है। पैथॉलजी रिपोर्ट 24 घंटे में आती है। दौरे पड़ना- दौरों को ठीक करने के लिए एप्सोलिन इंजेक्शन लगाया जाता है जो तुरंत फायदा करता है। यह लंबे समय से नहीं है। ब्लड प्रेशर- हाई ब्लड प्रेशर में डिपिन कैप्सूल में छेद करके जीभ के नीचे रखते हैं जो दो मिनट में आराम देती है। यह एक माह से नहीं है। सांस समस्या- सांस की समस्या को कंट्रोल करने के लिए डेरिफाइलिन आईवी और हाइड्रो कार्टिजन आईवी एक माह से नहीं है। फोटो-- ये डॉक्टर अपनी जेब में रखते हैं जरूरी दवा डॉ. वागीश वैश्य जिला अस्पताल में परामर्शदाता हैं। उनके पर्स में हमेशा हार्ट अटैक रोकने की दवा सॉरबिट्रेट मिलेगी। जैसे ही कोई मरीज आता है स्टाफ नर्स उन्हें कॉल करती है और वे अपनी जेब से दवा निकालकर मरीज की जीभ के नीचे रख देते हैं। बुधवार को एक पत्ते में तीन गोलियां कम थीं। वह बताने लगे कि इमरजेंसी में दवा नहीं है, लेकिन मरीज को तो देनी है। यह सस्ती दवा होती है इसलिए बाजार से खरीदकर अपनी जेब में रखता हूं। कोट--- ...तो कहां जा रही हैं दवाएं मुझे सीएमएसडी से सूचना मिली है कि हमारे पास सभी दवाएं पर्याप्त हैं। नए सॉफ्टवेयर की वजह से कुछ दिक्कत है और लोकल खरीद भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन इमरजेंसी में दवाएं मौजूद हैं। दवाएं क्यों नहीं पहुंच रही हैं यह जानकारी करूंगा। - डॉ. केएस गुप्ता, प्रमुख अधीक्षक
हार्ट अटैक और बीपी के मरीज हो रहे परेशान पिछले काफी दिनों से बनी हुई है दवाओं की किल्लत अमर उजाला ब्यूरो बरेली। अगर आपके हृदय में तेज पीड़ा हो रही है या फिर ब्लड प्रेशर हाई है तो त्वरित इलाज की इच्छा से जिला अस्पताल की इमरजेंसी में न आएं, क्योंकि यहां कई जीवन रक्षक दवाएं नहीं हैं, जिससे मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो गया है, डॉक्टर भी परेशान हैं। उधर, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि उनके स्टोर में दवाओं की भरमार है। जिला अस्पताल में पिछले नौ माह से दवाओं की किल्लत है। पहले दवा कंपनियों पर बकाया अधिक हो गया था इसलिए दवाएं नहीं आ रही थीं। शासन ने कुछ दवाएं खरीदने के लिए धनराशि भेजी थी, लेकिन उससे बकाया नहीं चुकाना था। दवाओं की किल्लत बढ़ी तो कंपनी ने दवा सप्लाई करने की सहमति दे दी थी। इसके बाद दवाओं की खरीद भी हुई। उधर, शासन की ओर से साफ्टवेयर चेंज किया गया है जिसकी वजह से फिर दवा खरीद में दिक्कत हो रही है, लेकिन फिर भी कुछ जरूरी दवाएं अस्पताल प्रशासन की ओर से खरीदी गई हैं। इनमें इमरजेंसी की दवाओं का स्टाक पर्याप्त होने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में दावा फेल है। इमरजेंसी के स्टाफ ने बताया कि रोजाना इंडेंट रजिस्टर में दवाएं लिखी जा रही हैं। कुछ दवाएं तो दो माह से नहीं हैं। मरीज के साथ स्टाफ भी परेशान है। डॉक्टर खुद मरीजों का इलाज कर पाने में असहाय हैं। इन जरूरी दवाआें का है अकाल हार्ट अटैक- सॉरबिट्रेट दवा को जीभ के नीचे रखते ही हृदयाघात की संभावना कम हो जाती है। यह एक माह से इमरजेंसी में नहीं है। डायबिटीज- तुरंत शुगर जांचनेे को ग्लूको मीटर का प्रयोग करते हैं और इलाज शुरू होता है। यह तीन माह से नहीं है। पैथॉलजी रिपोर्ट 24 घंटे में आती है। दौरे पड़ना- दौरों को ठीक करने के लिए एप्सोलिन इंजेक्शन लगाया जाता है जो तुरंत फायदा करता है। यह लंबे समय से नहीं है। ब्लड प्रेशर- हाई ब्लड प्रेशर में डिपिन कैप्सूल में छेद करके जीभ के नीचे रखते हैं जो दो मिनट में आराम देती है। यह एक माह से नहीं है। सांस समस्या- सांस की समस्या को कंट्रोल करने के लिए डेरिफाइलिन आईवी और हाइड्रो कार्टिजन आईवी एक माह से नहीं है। फोटो-- ये डॉक्टर अपनी जेब में रखते हैं जरूरी दवा डॉ. वागीश वैश्य जिला अस्पताल में परामर्शदाता हैं। उनके पर्स में हमेशा हार्ट अटैक रोकने की दवा सॉरबिट्रेट मिलेगी। जैसे ही कोई मरीज आता है स्टाफ नर्स उन्हें कॉल करती है और वे अपनी जेब से दवा निकालकर मरीज की जीभ के नीचे रख देते हैं। बुधवार को एक पत्ते में तीन गोलियां कम थीं। वह बताने लगे कि इमरजेंसी में दवा नहीं है, लेकिन मरीज को तो देनी है। यह सस्ती दवा होती है इसलिए बाजार से खरीदकर अपनी जेब में रखता हूं। कोट--- ...तो कहां जा रही हैं दवाएं मुझे सीएमएसडी से सूचना मिली है कि हमारे पास सभी दवाएं पर्याप्त हैं। नए सॉफ्टवेयर की वजह से कुछ दिक्कत है और लोकल खरीद भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन इमरजेंसी में दवाएं मौजूद हैं। दवाएं क्यों नहीं पहुंच रही हैं यह जानकारी करूंगा। - डॉ. केएस गुप्ता, प्रमुख अधीक्षक