बरेली। राजनीतिक दखलंदाजी के चलते रिछा में पशु तस्करी के मामले की तफ्तीश आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस अवैध कारोबार के बड़े आकाओं के नाम सामने आना तो दूर, हफ्ते भर के अंदर इस मामले की तफ्तीश दो बार बदली जा चुकी है। मामले की विभागीय जांच कर रहे ट्रेनी आईपीएस देवरंजन ने भी शुरू में कुछ तेजी दिखाई थी, लेकिन अब बैकफुट पर आ गए हैं।
सूत्रों की बात मानी जाए तो रिछा के पशु तस्करों के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि सियासी दबाव में जांच को लटकाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। पर्दे के पीछे के पीछे की जा रही उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि जांच को अब ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी हो रही है। क्राइम ब्रांच ने एक जुलाई को रिछा में छापा मारकर क्राइम ब्रांच भारी मात्रा में प्रतिबंधित पशुओं का मांस और हजारों खालें बरामद कर पशु तस्करी के बड़े कारोबार का भंडाफोड़ किया था। बताया जाता है कि रिछा में यह कारोबार तो काफी समय से चल रहा था, लेकिन इस कार्रवाई की नौबत रामपुर और रिछा के पशु तस्करों के आमने-सामने आने के बाद आई। एक बड़े नेता के दबाव में लखनऊ के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। मगर अब दूसरी तरफ से भी इस कदर राजनीतिक दबाव पड़ रहा है कि पुलिस पर इस मामले की तफ्तीश करते नहीं बन रहा है।
सूत्र बताते हैं कि मांस और खालों का कारोबार की अनदेखी करने के आरोप में निलंबित हुए चौकी इंचार्ज लालराम को भी एक नेता ने ही तैनात कराया था। घटना के दिन मांस और खालों के तस्करों की तफ्तीश उपनिरीक्षक महेंद्र सिंह राघव को दी गई थी। मगर अगले ही दिन एसओ देवरनियां को हटाने के बाद वहां पहुंचे नए एसओ विजयपाल सिंह को यह तफ्तीश दी गई। रविवार को देवरनिया पुलिस ने पांच पशु तस्करों को पकड़ लिया। इसके बाद छह दिन पहले ही तैनात हुए एसओ को हटा दिया गया और तफ्तीश क्राइम ब्रांच को दे दी गई। दूसरी ओर पशु तस्करी के मुख्य अभियुक्त अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। तफ्तीश ट्रांसफर होने को उन्हीं की कामयाबी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि पशु तस्कर जेल जाने से बचने के लिए लखनऊ में बैठकर पर्दे के पीछे से पुलिस कार्रवाई से बचने का खेल कर रहे हैं।
बरेली। राजनीतिक दखलंदाजी के चलते रिछा में पशु तस्करी के मामले की तफ्तीश आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस अवैध कारोबार के बड़े आकाओं के नाम सामने आना तो दूर, हफ्ते भर के अंदर इस मामले की तफ्तीश दो बार बदली जा चुकी है। मामले की विभागीय जांच कर रहे ट्रेनी आईपीएस देवरंजन ने भी शुरू में कुछ तेजी दिखाई थी, लेकिन अब बैकफुट पर आ गए हैं।
सूत्रों की बात मानी जाए तो रिछा के पशु तस्करों के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि सियासी दबाव में जांच को लटकाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। पर्दे के पीछे के पीछे की जा रही उनकी कोशिशों का ही नतीजा है कि जांच को अब ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी हो रही है। क्राइम ब्रांच ने एक जुलाई को रिछा में छापा मारकर क्राइम ब्रांच भारी मात्रा में प्रतिबंधित पशुओं का मांस और हजारों खालें बरामद कर पशु तस्करी के बड़े कारोबार का भंडाफोड़ किया था। बताया जाता है कि रिछा में यह कारोबार तो काफी समय से चल रहा था, लेकिन इस कार्रवाई की नौबत रामपुर और रिछा के पशु तस्करों के आमने-सामने आने के बाद आई। एक बड़े नेता के दबाव में लखनऊ के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। मगर अब दूसरी तरफ से भी इस कदर राजनीतिक दबाव पड़ रहा है कि पुलिस पर इस मामले की तफ्तीश करते नहीं बन रहा है।
सूत्र बताते हैं कि मांस और खालों का कारोबार की अनदेखी करने के आरोप में निलंबित हुए चौकी इंचार्ज लालराम को भी एक नेता ने ही तैनात कराया था। घटना के दिन मांस और खालों के तस्करों की तफ्तीश उपनिरीक्षक महेंद्र सिंह राघव को दी गई थी। मगर अगले ही दिन एसओ देवरनियां को हटाने के बाद वहां पहुंचे नए एसओ विजयपाल सिंह को यह तफ्तीश दी गई। रविवार को देवरनिया पुलिस ने पांच पशु तस्करों को पकड़ लिया। इसके बाद छह दिन पहले ही तैनात हुए एसओ को हटा दिया गया और तफ्तीश क्राइम ब्रांच को दे दी गई। दूसरी ओर पशु तस्करी के मुख्य अभियुक्त अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। तफ्तीश ट्रांसफर होने को उन्हीं की कामयाबी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि पशु तस्कर जेल जाने से बचने के लिए लखनऊ में बैठकर पर्दे के पीछे से पुलिस कार्रवाई से बचने का खेल कर रहे हैं।