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बरेली। जिले में उद्योगों की स्थिति जानने के लिए विद्यार्थियों और बेरोजगारों को लगाया जाएगा। केंद्र सरकार ने सभी औद्योगिक इकाइयों का सत्यापन कराने का फैसला लिया है। इसमें हर इकाई के पैन, टिन नंबर से लेकर टेलीफोन नंबर तक जुटाए जाएंगे। साथ ही इकाइयों को मिली सरकारी इमदाद का जिक्र भी होगा।
जिले में छोटी-बड़ी करीब साढ़े ग्यारह हजार औद्योगिक इकाइयां दर्ज हैं। उद्योग विभाग के पास इस तरह का कोई डाटा नहीं है कि इनमें से कितनी इकाइयां चालू हालत में हैं और कितनी बीमार या बंद। केंद्र सरकार ने इन इकाइयों के सत्यापन के लिए प्रारूप भेजा है। इस प्रारूप पर जुटाई गई जानकारी के आधार पर उद्योगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। यह भी पता चल सकेगा कि किस जिले में कौन से उद्यम ज्यादा हैं। उद्यमियों से यह जानने की कोशिश भी की जाएगी कि उद्योगों के विकास में क्या-क्या बाधाएं आ रही हैं।
जिले में अर्थ एवं संख्या विभाग को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। विभाग ने इस काम में गणित, सांख्यिकी, अर्थशास्त्र और कॉमर्स के स्नातकोत्तर छात्र और शोधार्थियों से यह काम कराने का फैसला लिया है। जरूरत पड़ने पर बेरोजगारी भत्ता पाने वाले बेरोजगारों को भी इस काम में लगाया जाएगा। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, इसमें सरकारी कर्मचारियों को भी लगाया जा सकता है लेकिन स्थानीय स्तर पर यह महसूस किया गया कि सरकारी कर्मचारी सर्वे ठीक से नहीं करते।
बरेली। जिले में उद्योगों की स्थिति जानने के लिए विद्यार्थियों और बेरोजगारों को लगाया जाएगा। केंद्र सरकार ने सभी औद्योगिक इकाइयों का सत्यापन कराने का फैसला लिया है। इसमें हर इकाई के पैन, टिन नंबर से लेकर टेलीफोन नंबर तक जुटाए जाएंगे। साथ ही इकाइयों को मिली सरकारी इमदाद का जिक्र भी होगा।
जिले में छोटी-बड़ी करीब साढ़े ग्यारह हजार औद्योगिक इकाइयां दर्ज हैं। उद्योग विभाग के पास इस तरह का कोई डाटा नहीं है कि इनमें से कितनी इकाइयां चालू हालत में हैं और कितनी बीमार या बंद। केंद्र सरकार ने इन इकाइयों के सत्यापन के लिए प्रारूप भेजा है। इस प्रारूप पर जुटाई गई जानकारी के आधार पर उद्योगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। यह भी पता चल सकेगा कि किस जिले में कौन से उद्यम ज्यादा हैं। उद्यमियों से यह जानने की कोशिश भी की जाएगी कि उद्योगों के विकास में क्या-क्या बाधाएं आ रही हैं।
जिले में अर्थ एवं संख्या विभाग को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। विभाग ने इस काम में गणित, सांख्यिकी, अर्थशास्त्र और कॉमर्स के स्नातकोत्तर छात्र और शोधार्थियों से यह काम कराने का फैसला लिया है। जरूरत पड़ने पर बेरोजगारी भत्ता पाने वाले बेरोजगारों को भी इस काम में लगाया जाएगा। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, इसमें सरकारी कर्मचारियों को भी लगाया जा सकता है लेकिन स्थानीय स्तर पर यह महसूस किया गया कि सरकारी कर्मचारी सर्वे ठीक से नहीं करते।