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बरेली। जिस तरह से शुक्रवार की सुबह से ही अफवाहें तैर रही थीं, उससे लग रहा था कि माहौल कहीं न कहीं बिगड़ेगा। संवेदनशील हिस्सों में चाक चौबंद व्यवस्था देखकर इस बात का इत्मीनान हो गया था कि शहर पूरी तरह से महफूज है। इन जगहों पर आरएफ, पुलिस और पीएसी के जवान मुस्तैद खड़े थे। कई मोहल्लों में लोगों ने भी अपने से बैरिकेडिंग कर ली थी, ताकि माहौल बिगाड़ने वालों के सक्रिय होने पर उनसे निपटा जा सके। ... लेकिन उस इलाके में स्थिति बिगड़ गई, जहां ऐसा होने की बिल्कुल भी उम्मीद न थी। जाहिर है कि इसमें अमन के लिए पहल करने वाले लोगों और पुलिस-प्रशासन की कहीं न कहीं थोड़ी बहुत चूक रही।
सबसे पहले अफवाह तैरी कि फरीदपुर में बवाल हो गया है। पता चला कि इस तहसील के गांव कल्यानपुर में एक पक्ष जुलूस निकालना चाहता है। नई परंपरा थी और पुलिस ने मौके पर जाकर लोगों को नई परंपरा न डालने के लिए समझा लिया। मामला उसी समय निपट गया, लेकिन बरेली शहर को फिर उपद्रव की आग में झोंकने की साजिश में लगे लोगों ने इसे बढ़ाचढ़ाकर पेश करना शुरू कर दिया। दोपहर में अचानक एक मोबाइल फोन से दूसरे मोबाइल फोन पर सूचना तैरी कि बदायूं शहर में बवाल हो गया है, जबकि वहां माहौल एकदम शांत था। देर शाम तक तो मॉडल टाउन के कई लोगों ने अमर उजाला दफ्तर फोन करके पूछा कि क्या प्रेमनगर में त्रिमूर्ति नर्सिंग होम के पास दंगा हो गया है।
पुलिस, पीएसी, आरएएफ और जिले के अफसरों ने सुबह से ही संवेदनशील स्थानों पर मोर्चा संभाल लिया था। मठ की चौकी पर भोर में ही पुलिस के जवान मुस्तैद हो गए थे। शाहबाद भूड़ में धीमरों वाली गली और उससे बराबर वाली गली में लोगों ने खुद ही बैरिकेडिंग कर ली थी, ताकि बेवजह आने-जाने वाले पर नजर रखी जा सके। यहां हेड कांस्टेबल अमरपाल शर्मा अपनी टीम के साथ मिले। कोहाड़ापीर पर डीडीओ श्याम सिंह सुबह दस बजे ही पहुंच गए थे। सन् 2010 में यह जगह काफी अशांत थीं। गुलाबनगर में वशीर मियां की मजार के पास जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी आरएएफ के साथ घूमते हुए मिले। उन्होंने तो एक दिन पहले ही ऐसे लोगों की सूची बना ली थी, जिनकी मोहल्ले में इमेज ठीक नहीं है। यह सूची उन्होंने दिखाई भी। पुराने शहर से लेकर साहूकारा तक और प्रेमनगर से लेकर सुभाषनगर तक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी और अफसर इसी तरह से मुस्तैद थे।
लेकिन खादर के एक छोटे से गांव ने सांप्रदायिक सद्भाव को फिर बड़ा झटका दे दिया। रूट को लेकर विवाद था और मुरावपुरा के लोगों की मानें तो सुबह 11 बजे उन्होंने इसकी सूचना गश्त को आए दो सिपाहियों को दे दी थी। जब जुलूस के लिए शहर से डीजे और जेनसेट मंगाया गया तो इसकी सूचना भी इन दो सिपाहियों को दी गई। लेकिन उन्होंने इसे हल्के में लेते हुए आला अफसरों को नहीं बताया। .. और जब तक आला अफसरों को पूरी स्थिति का पता लगा, तब तक काफी देर हो चुकी थी। फिर भी जिस तरह से दो-तीन घंटे में माहौल को काबू में कर लिया गया, वह तारीफे काबिल है।
बरेली। जिस तरह से शुक्रवार की सुबह से ही अफवाहें तैर रही थीं, उससे लग रहा था कि माहौल कहीं न कहीं बिगड़ेगा। संवेदनशील हिस्सों में चाक चौबंद व्यवस्था देखकर इस बात का इत्मीनान हो गया था कि शहर पूरी तरह से महफूज है। इन जगहों पर आरएफ, पुलिस और पीएसी के जवान मुस्तैद खड़े थे। कई मोहल्लों में लोगों ने भी अपने से बैरिकेडिंग कर ली थी, ताकि माहौल बिगाड़ने वालों के सक्रिय होने पर उनसे निपटा जा सके। ... लेकिन उस इलाके में स्थिति बिगड़ गई, जहां ऐसा होने की बिल्कुल भी उम्मीद न थी। जाहिर है कि इसमें अमन के लिए पहल करने वाले लोगों और पुलिस-प्रशासन की कहीं न कहीं थोड़ी बहुत चूक रही।
सबसे पहले अफवाह तैरी कि फरीदपुर में बवाल हो गया है। पता चला कि इस तहसील के गांव कल्यानपुर में एक पक्ष जुलूस निकालना चाहता है। नई परंपरा थी और पुलिस ने मौके पर जाकर लोगों को नई परंपरा न डालने के लिए समझा लिया। मामला उसी समय निपट गया, लेकिन बरेली शहर को फिर उपद्रव की आग में झोंकने की साजिश में लगे लोगों ने इसे बढ़ाचढ़ाकर पेश करना शुरू कर दिया। दोपहर में अचानक एक मोबाइल फोन से दूसरे मोबाइल फोन पर सूचना तैरी कि बदायूं शहर में बवाल हो गया है, जबकि वहां माहौल एकदम शांत था। देर शाम तक तो मॉडल टाउन के कई लोगों ने अमर उजाला दफ्तर फोन करके पूछा कि क्या प्रेमनगर में त्रिमूर्ति नर्सिंग होम के पास दंगा हो गया है।
पुलिस, पीएसी, आरएएफ और जिले के अफसरों ने सुबह से ही संवेदनशील स्थानों पर मोर्चा संभाल लिया था। मठ की चौकी पर भोर में ही पुलिस के जवान मुस्तैद हो गए थे। शाहबाद भूड़ में धीमरों वाली गली और उससे बराबर वाली गली में लोगों ने खुद ही बैरिकेडिंग कर ली थी, ताकि बेवजह आने-जाने वाले पर नजर रखी जा सके। यहां हेड कांस्टेबल अमरपाल शर्मा अपनी टीम के साथ मिले। कोहाड़ापीर पर डीडीओ श्याम सिंह सुबह दस बजे ही पहुंच गए थे। सन् 2010 में यह जगह काफी अशांत थीं। गुलाबनगर में वशीर मियां की मजार के पास जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी आरएएफ के साथ घूमते हुए मिले। उन्होंने तो एक दिन पहले ही ऐसे लोगों की सूची बना ली थी, जिनकी मोहल्ले में इमेज ठीक नहीं है। यह सूची उन्होंने दिखाई भी। पुराने शहर से लेकर साहूकारा तक और प्रेमनगर से लेकर सुभाषनगर तक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी और अफसर इसी तरह से मुस्तैद थे।
लेकिन खादर के एक छोटे से गांव ने सांप्रदायिक सद्भाव को फिर बड़ा झटका दे दिया। रूट को लेकर विवाद था और मुरावपुरा के लोगों की मानें तो सुबह 11 बजे उन्होंने इसकी सूचना गश्त को आए दो सिपाहियों को दे दी थी। जब जुलूस के लिए शहर से डीजे और जेनसेट मंगाया गया तो इसकी सूचना भी इन दो सिपाहियों को दी गई। लेकिन उन्होंने इसे हल्के में लेते हुए आला अफसरों को नहीं बताया। .. और जब तक आला अफसरों को पूरी स्थिति का पता लगा, तब तक काफी देर हो चुकी थी। फिर भी जिस तरह से दो-तीन घंटे में माहौल को काबू में कर लिया गया, वह तारीफे काबिल है।