बरेली। हजरत किबला बशीर मियां की दरगाह पर शुक्रवार को निसबत की चादर पेश की गई। खानकाह-ए-शराफतिया के सज्जादानशीन शाह सकलैन मियां यह चादर लेकर दरगाह पहुुंचे। आस्ताने पर अकीदत का नजराना पेश कर उन्होंने अवाम के लिए दुआ-ए-खैर मांगी ।
हजरत शाह शराफत अली मियां की दरगाह पर फातेहा के बाद साहिबे सज्जादा शाह सकलैन मियां की कयादत में एक काफिला चादर लेकर रवाना हुआ। इसमें हजारों की तादाद में अकीदतमंद और उर्स में शिरकत करने आए तमाम जायरीन शमिल थे। यह जुलूस शाहबाद दीवानखाना से कोहाड़पीर, चाहबाई होता हुआ गुलाबनगर पहुंचा।
शाह सकलैन मियां ने दरगाह पर चादरों को पेश किया। फातेहा ख्वानी के बाद नबी-ए-करीम और किबला बशीर मियां के पैरहन समेत तमाम तबर्रुकात की जियारत कराई गई। इनकी एक झलक पाने को लोग उमड़ पड़े। कई अकीदतमंदों की इन्हें देखकर आंखे छलक आईं। लोगों ने तबर्रुकात को छूकर आंखों से लगाया। बाद में दुआ करके लोग यहां से रवाना हुए। इस दौरान खानकाह के प्रबंधक मुमताज मियां, मुनतखब अहमद खां नूर और हाजी गाजी मियां खासतौर से मौजूद थे। जुलूस का रास्ते में कई जगह लोगों ने स्वागत किया।
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एक रिश्ता है चादरों का जुलूस
चादरों का यह जुलूस दो दरगाहों के बीच एक कड़ी है। एक निसबत यानी रिश्ता है, जिसे पीरोमुर्शिद शाह सकलैन मियां ने कायम रखा है। दरअसल दोनों बुजुर्गों के बीच पीर और मुरीद का रिश्ता है। किबला बशीर मियां हजरत शाह शराफत अली मियां के पीर हैं। हर साल उर्स-ए-शराफती के कुल शरीफ के अगले दिन चादरों का यह जुलूस मुरीद की दरगाह से पीर की दरगाह पहुंचता है।
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अभी भी रुके हैं जायरीन
हजरत शाह शराफत मियां का उर्स गुरुवार को संपन्न हो गया। मगर इसमें शिरकत करने आए तमाम जायरीन अभी भी रुके हुए हैं। शनिवार तक सबकी रवानगी होने की संभावना है। उर्स के अलावा शुक्रवार को भी लोगों का सज्जादानशीन से मिलने और मुरीद होने का तांता लगा रहा।