बरेली। धार्मिक संस्थाओं का कार्य समाज सेवा है। वे बिना शोर मचाए अपना कार्य करती हैं। धर्म में राजनीति के आने से व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं। यह बातें श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर योगी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि धर्म कल्याण का साधन है। मंदिर और अन्य धार्मिक संस्थाओं से अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 18 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। वे बरेली में धर्म, समाज से संबंधित मसलों पर बात कर रहे थे।
मंदिरों के संचालन की क्या कोई गाइडलाइन बनेगी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों के प्रबंध का अपना तरीका होता है। उन्हीं की मूल भावना के अनुसार मंदिर का संचालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुजारी के अधिक प्रसाद देने या वीआईपी लाइन में लगकर भगवान के दर्शन करने ईश्वर की अधिक कृपा नहीं मिलती।
उन्होंने कहा कि धार्मिक चैनल धर्म पर कुठाराघात कर रहे हैं। ये व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अन्ना हजारे के आंदोलन के समर्थन की बात कही। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से बाहर आएं और देश के बारे में सोचें।