बरेली। शनिवार को दादर एक्सप्रेस की एक जनरल बोगी में जमकर बवाल हुआ। खिड़की के पास सीट पर कब्जा करने को लेकर यात्री आपस में भिड़ गए। जमकर मारपीट हुई, जिसमें दो सगी बहनों समेत कई लोग घायल हो गए। जंक्शन से ट्रेन चल चुकी थी, लेकिन मारपीट और हंगामे की वजह से ड्राइवर और गार्ड ने उसे रोक लिया। मौके पर पहुंची जीआरपी और आरपीएफ भी विवाद को सुलझा नहीं पाई। आखिरकार कुछ लोगों को ‘विकलांग’ बोगी में सीट दिलानी पड़ी। तब कहीं दस मिनट लेट हो चुकी ट्रेन के रवाना होने की नौबत आई।
शनिवार सुबह जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर चार पर रुकी मुंबई जाने वाली दादर एक्सप्रेस की जनरल बोगी में भीड़भाड़ की वजह से एक तो पैर रखने की भी जगह नहीं थी। ऊपर से गर्मी के मारे मुसाफिरों का बुरा हाल था। ऐसे में खिड़की के पास एक सीट पर बैठी लड़कियों और बच्चों को कुछ लोगों ने जबरन उठा चाहा तो झगड़ा हो गया। 10.45 बजे ट्रेन जंक्शन से चल दी, लेकिन इसी बीच सीट पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने उस पर पहले से बैठे लोगों को पीटना शुरू कर दिया। इंजन के ठीक पीछे लगी इस बोगी में बवाल शुरू हुआ तो ड्राइवर ने फौरन इसकी सूचना गार्ड को दी। गार्ड ने उप स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह को जीआरपी के साथ बोगी पर पहुंचने को कहा और ट्रेन को रुकवा दिया। जीआरपी और आरपीएफ के पहुंचने के बाद मारपीट तो रुक गई, लेकिन सीट पर बैठने का विवाद नहीं सुलझा। मारपीट में ख्वाजा कुतुब इलाके में रहने वाले मो. रौनक की बेटी रानी और शबा घायल हो गई थीं। उन्होंने बताया कि खिड़की के पास वाली सीट पर उनका भाई मतिन बैठा था, जिसके पैर पर प्लास्टर चढ़ा था। लेकिन मारपीट करने वाले लोग उसे जबरन उठाना चाह रहे थे। उसे पीटा भी। पिटाई से रानी और शबा के चेहरे और पैर में चोट आई। जीआरपी ने रानी, शबा और उनके भाई मतिन समेत कई लोगों को विकलांग बोगी में बैठाकर करीब 10.57 बजे ट्रेन को रवाना किया। उप स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह ने माना कि बवाल की वजह से ट्रेन करीब दस मिनट लेट हो गई।
ट्रेन में घायलों को नहीं मिली फर्स्ट एड
मारपीट में घायल हुई शबा और रानी से आंवला में हमारे संवाददाता ने बातचीत की। आंवला संवाददाता के मुताबिक यात्री इतने डरे हुए थे कि पहले तो उन्होंने बोगी का गेट ही नहीं खोला। आरपीएफ के एक सब इंसपेक्टर के आने के बाद उन्होंने गेट खोला और आपबीती सुनाई। घायल शबा के पैर से खून बह रहा था। उन्होंने एक कपड़ा अपने घाव पर बांध रखा था। ट्रेन में उन्हें प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाया।
बरेली। शनिवार को दादर एक्सप्रेस की एक जनरल बोगी में जमकर बवाल हुआ। खिड़की के पास सीट पर कब्जा करने को लेकर यात्री आपस में भिड़ गए। जमकर मारपीट हुई, जिसमें दो सगी बहनों समेत कई लोग घायल हो गए। जंक्शन से ट्रेन चल चुकी थी, लेकिन मारपीट और हंगामे की वजह से ड्राइवर और गार्ड ने उसे रोक लिया। मौके पर पहुंची जीआरपी और आरपीएफ भी विवाद को सुलझा नहीं पाई। आखिरकार कुछ लोगों को ‘विकलांग’ बोगी में सीट दिलानी पड़ी। तब कहीं दस मिनट लेट हो चुकी ट्रेन के रवाना होने की नौबत आई।
शनिवार सुबह जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर चार पर रुकी मुंबई जाने वाली दादर एक्सप्रेस की जनरल बोगी में भीड़भाड़ की वजह से एक तो पैर रखने की भी जगह नहीं थी। ऊपर से गर्मी के मारे मुसाफिरों का बुरा हाल था। ऐसे में खिड़की के पास एक सीट पर बैठी लड़कियों और बच्चों को कुछ लोगों ने जबरन उठा चाहा तो झगड़ा हो गया। 10.45 बजे ट्रेन जंक्शन से चल दी, लेकिन इसी बीच सीट पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने उस पर पहले से बैठे लोगों को पीटना शुरू कर दिया। इंजन के ठीक पीछे लगी इस बोगी में बवाल शुरू हुआ तो ड्राइवर ने फौरन इसकी सूचना गार्ड को दी। गार्ड ने उप स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह को जीआरपी के साथ बोगी पर पहुंचने को कहा और ट्रेन को रुकवा दिया। जीआरपी और आरपीएफ के पहुंचने के बाद मारपीट तो रुक गई, लेकिन सीट पर बैठने का विवाद नहीं सुलझा। मारपीट में ख्वाजा कुतुब इलाके में रहने वाले मो. रौनक की बेटी रानी और शबा घायल हो गई थीं। उन्होंने बताया कि खिड़की के पास वाली सीट पर उनका भाई मतिन बैठा था, जिसके पैर पर प्लास्टर चढ़ा था। लेकिन मारपीट करने वाले लोग उसे जबरन उठाना चाह रहे थे। उसे पीटा भी। पिटाई से रानी और शबा के चेहरे और पैर में चोट आई। जीआरपी ने रानी, शबा और उनके भाई मतिन समेत कई लोगों को विकलांग बोगी में बैठाकर करीब 10.57 बजे ट्रेन को रवाना किया। उप स्टेशन अधीक्षक आरके सिंह ने माना कि बवाल की वजह से ट्रेन करीब दस मिनट लेट हो गई।
ट्रेन में घायलों को नहीं मिली फर्स्ट एड
मारपीट में घायल हुई शबा और रानी से आंवला में हमारे संवाददाता ने बातचीत की। आंवला संवाददाता के मुताबिक यात्री इतने डरे हुए थे कि पहले तो उन्होंने बोगी का गेट ही नहीं खोला। आरपीएफ के एक सब इंसपेक्टर के आने के बाद उन्होंने गेट खोला और आपबीती सुनाई। घायल शबा के पैर से खून बह रहा था। उन्होंने एक कपड़ा अपने घाव पर बांध रखा था। ट्रेन में उन्हें प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाया।