बरेली। पेट्रोल की मूल्य वृद्धि के खिलाफ सपा की बैठक मेयर चुनाव को लेकर खामोश अखाड़ा बन गई। जाहिरा तौर पर समर्थन या विरोध की चर्चा तो नहीं हुई, पर व्यक्तिगत राय देते हुए नेताओं ने जिस तरह से व्यंग बाण छोड़े, उससे असलियत समझना बहुत मुश्किल भी नहीं था। पार्टी के जिलाध्यक्ष और पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव को यहां तक कहना पड़ा कि पार्टी में अनुशासनहीनता इस कदर बढ़ गई है कि अब उनका पार्टी कार्यालय में आने का मन तक नहीं करता।
मंगलवार को पार्टी कार्यालय पर 31 मई को पेट्रोल के मूल्य वृद्धि के खिलाफ आहूत बंद को सफल बनाने के लिए महानगर कमेटी की एक बैठक बुलाई गई थी। लेकिन, इसके एजेंडे में स्थानीय निकाय चुनाव और पार्टी संगठन को मजबूत बनाने का मुद्दा भी जुड़ गया। सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में तमाम पुराने कार्यकर्ताओं के अलावा डॉ. आईएस तोमर भी पहुंचे। डॉ. आईएस तोमर ने मेयर का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है और उन्होंने यहां तक दावा किया है कि सपा हाईकमान का आशीर्वाद उन्हें मिल चुका है। बैठक में उनके पहुंचते ही विरोधी खेमे के तेवर बदल गए। डॉ. तोमर ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, ‘सभी मेरे लिए जाने पहचाने हैं। सबका इस्तकबाल करता हूं और उम्मीद करता हूं कि आप सबका भरोसा मुझ पर बना रहेगा।’
इसके बाद डॉ. अनिल शर्मा को बोलने का मौका दिया गया। वह भी अपनी पत्नी रजनी शर्मा को मेयर का चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं। डॉ. अनिल शर्मा ने कहा, ‘सबसे पहले मैं डॉ. तोमर का स्वागत करता हूं। उन्हें पहली बार मैंने पार्टी कार्यालय पर देखा है। मेयर का चुनाव पार्टी अपने किसी कार्यकर्ता को ही लड़ाएगी। सभी कार्यकर्ता भी किसी एक कार्यकर्ता को ही चुनाव लड़ाने के पक्षधर हैं। पार्टी उसे ही समर्थन दे, जिसे मतदाता सिंबल के बिना भी समाजवादी के रूप में पहचानती हो।’ बैठक में पूर्व विधायक धर्मेंद्र कश्यप भी पहुंचे, मगर वह वहां कुछ देर रुककर बिना बोले ही चले गए। पूर्व महानगर अध्यक्ष जफर बेग और जिला प्रवक्ता संजीव यादव ने पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
सभी को सुनने के बाद जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘कार्यकर्ताओं को निकाय चुनाव लड़ने और लड़ाने के लिए फ्री छोड़ दिया तो भूचाल आ जाएगा। कोई किसी को लड़ाएगा तो कोई किसी को। पार्टी के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है। मेयर पद पर संगठन उसी प्रत्याशी को समर्थन देगा, जो पार्टी के कष्ट के दिनों में तन-मन-धन से साथ रहा हो।’ 31 मई के बंद के बाबत उन्होंने कहा कि बंद का आह्वान किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि केंद्र की जनविरोधी नीतियों का विरोध करना है।
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समर्थन देने के लिए कमेटी का गठन
सपा ने निकाय चुनाव के प्रत्याशियों को समर्थन देने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी के अलावा किसी को भी समर्थन देने का अधिकार नहीं होगा। इसमें जिलाध्यक्ष वीरपाल पाल सिंह यादव, महानगर अध्यक्ष फहीम साबिर, लघु उद्योग राज्यमंत्री भगवत सरन गंगवार, विधायक सियाराम सागर, विधायक अताउर्रहमान, प्रमोद विष्ट, मलखान सिंह यादव, महिपाल सिंह यादव, हाजी गुड्डू को शामिल किया गया है।
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31 मई तक मांगे आवेदन
पार्टी के महानगर प्रवक्ता रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि मेयर और सभासद पद के लिए आवेदन 31 मई तक लिए जाएंगे। चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ता अपने आवेदन पार्टी कार्यालय में जमा कर सकते हैं।
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किसी प्रत्याशी ने मुझे बैठक में नहीं बुलाया
हां, कुछ समय पहले मैंने यह कहा था कि राजनीति बड़ी गंदी चीज है। लेकिन, मेयर का पद राजनीतिक नहीं है। यह सही है कि राजनीतिक पार्टियां मेयर का चुनाव लड़ाती हैं, लेकिन जीतने के बाद मेयर किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे शहर का हो जाता है। रही बात विधानसभा चुनाव में सपा के प्रत्याशियों का समर्थन न करने की? तो किसी भी प्रत्याशी ने मुझसे यह नहीं कहा कि मेरी किसी बैठक में आओ या मेरे लिए जनसंपर्क करो। मेरे ही एक समर्थक ने एक प्रत्याशी की बैठक में आने को कहा तो मैंने उससे कहा कि अगर हाईकमान या प्रत्याशी मुझसे कहेगा तो जरूर आऊंगा। तुम्हारे कहने से नहीं, क्योंकि तुम्हें तो सपा के उस प्रत्याशी का चुनाव लड़ाने मैंने ही भेजा है।- डॉ. आईएस तोमर, मेयर
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सपा के सदस्य हैं डॉ. तोमर : फहीम
सपा से ही जुड़े कुछ लोगों ने महानगर कमेटी की बैठक में पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर के आने पर सवाल उठाए। उनका तर्क था कि डॉ. तोमर सपा के सदस्य नहीं है। लेकिन, सपा के महानगर अध्यक्ष फहीम साबिर उनके इस तर्क को गलत मानते हैं। उन्होंने अमर उजाला को बताया कि मेयर का चुनाव जीतने के बाद डॉ. तोमर सपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, इसलिए आज भी वह सपा के सदस्य हैं।