बरेली। अधीक्षण अभियंता (शहर) अखिलेश गुप्ता का कहना है कि बिजली कटौती तभी की जा रही है, जब कंट्रोल ऐसा करने को कहता है। स्थानीय स्तर से कटौती नहीं हो रही है। आपूर्ति की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने मुख्यालय को पत्र भेजा है।
गर्मी बढ़ते ही कटौती भी बढ़ गई है? इस सवाल के जवाब में अधीक्षण अभियंता (एसई) ने कहा कि दिन में 12 से 4 बजे तक और रात में एक घंटे की कटौती सेंट्रल लोड डिस्पैच स्टेशन (सामान्य भाषा में कंट्रोल) के आदेश से की जा रही है। रात की कटौती, शेड्यूल कटौती में शामिल नहीं है। इस कटौती को कम करवाने के लिए हाल ही में मुख्यालय को पत्र लिखा है।
यह पूछने पर कि जब कटौती होती है, तो स्टाफ फॉल्ट ठीक नहीं करता, लेकिन बिजली आते ही इन्हें ठीक करने के लिए शट डाउन ले लिया जाता है? उनका कहना था कि कुछेक इलाके में इस तरह की शिकायतें हो सकती हैं, लोग उन्हें मामले की जानकारी दें तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। पीलीभीत बाईपास रोड की कॉलोनियों में जा रही लाइन पर फॉल्ट होने पर इन्हें समय से अटेंड नहीं किया जाता? इस पर इस पर एसई का जवाब था कि इस मामले में जांच कराएंगे। सिविल लाइंस के 33 केवी उपकेंद्र को दोहना के बजाय सिविल लाइंस के 132 केवी से जोड़े जाने के बाबत उन्होंने कहा कि पास वाले उपकेंद्र से 33 केवी उपकेंद्र को जोड़ने से बेहतर आपूर्ति मिलती है। इसलिए ऐसा किया गया है। इसमें ट्रांसमिशन विंग की आपत्ति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कुतुबखाना क्षेत्र में बेहतर आपूर्ति देने के लिए उपकेंद्र के पैनल हाल ही बदलवाए गए हैं। उन्होंने शहर में लो वोल्टेज की समस्या मानने से इनकार कर दिया। कहा, कि एक आध इलाके में कभी कभार समस्या हो सकती है। इसे आम समस्या बताना ठीक नहीं।