बरेली। एसओजी ने बुधवार को फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। शिक्षामित्र समेत दो युवकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से तमाम सरकारी जाली दस्तावेज और अफसरों के पदनाम की मुहरें बरामद हुईं। गिरोह का सरगना अभी फरार हैं।
एसपी सिटी शिव सागर सिंह के मुताबिक, इज्जत नगर क्षेत्र की बसंत विहार कॉलोनी के एक मकान में फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे। मुखबिर से इसकी सूचना मिलने पर अपराधियों को पकड़ने के लिए एसओजी को लगा दिया गया। बुधवार की शाम एसओजी ने बसंत विहार कॉलोनी में छापा मारकर दो युवकों को दबोच लिया। इनमें से एक उसी घर में रहने वाला लालाराम तिवारी और दूसरा भोजीपुरा क्षेत्र के गांव पिपरिया का हाकिम अली है। लालाराम तिवारी कर्मपुर चौधरी गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र है। इस गिरोह का सरगना बलिया का मूल निवासी सत्य प्रकाश शर्मा बताया जाता है, जो पिछले कई साल से सीबीगंज के बिबियापुर गांव में रह रहा है। लालाराम व हाकिम ने पुलिस को बताया कि सत्यप्रकाश प्रमाण पत्र बनाने वाले फार्म और कोरे कागज बलिया से लाता है। वह धोखाधड़ी के मामले में एक बार जेल भी जा चुका है।
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एक हजार में हाईस्कूल व डेढ़ में इंटर की मार्कशीट
ये जालसाज हाईस्कूल की फर्जी मार्कशीट के एक हजार और इंटर के डेढ़ हजार रुपये लेते थे। मौके पर हाईस्कूल की 15 और इंटरमीडिएट की सात फर्जी मार्कशीट मिलीं। सुभाष बाबू के नाम से बनाई गई हाईस्कूल की फर्जी मार्कशीट यूपी बोर्ड से जारी दिखाई गई है। इसमें स्कूल का नाम आरएस पब्लिक सेकेंडरी स्कूल दिया गया है। इसी तरह से कैलाश चंद को कृषि हायर सेकेंडरी स्कूल, परधौली का विद्यार्थी दिखाते हुए इंटरमीडिएट की मार्कशीट तैयार की गई है। हाईस्कूल की 26 और इंटर की 12 फर्जी टीसी भी मिली हैं।
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मूल निवास की फीस तीन हजार रुपये
फर्जी मूल निवास प्रमाणपत्र की फीस तीन हजार रुपये लेते थे। पकड़े गए युवकों के पास से भारत निर्वाचन आयोग के चार फोटो पहचान पत्र भी बरामद हुए। इनमें से एक पहचान पत्र भगवत सरन पुत्र गंगाराम निवासी 71 रिठौरा, तहसील नवाबगंज का है। शिक्षा विभाग से संबंधित तमाम अधूरे बने प्रमाण पत्र और कोरे कागज भी मिले हैं।
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पूर्व विधायक समेत तमाम अफसरों की मोहर मिलीं
पकड़े गए युवकों के पास 25 मुहरें बरामद हुईं। इनमें एक मुहर बसपा के पूर्व विधायक आरके शर्मा के नाम की है। इसके अलावा एडीएम, एसडीएम सदर, तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल, सीएमओ, सीएमएस, आरटीओ, रजिस्ट्रार और विभिन्न बैंकों की मुहरें भी मिली हैं।
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बैंक मैनेजरों से सांठगांठ की बात भी सामने आई
पकड़े जाने वाले लालाराम तिवारी और हाकिम अली की सांठगांठ कई बैंकों के मैनेजरों से भी बताई जाती है। उन्हीं के जरिए सरकारी योजनाओं के तहत वे बैंकों लोन दिलाने का काम करते थे। मौके पर कई बैंकों से संबंधित तमाम कागजात भी मिले।
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एसएसपी ने दिया इनाम
जालसाजी का भंडाफोड़ करने वाली टीम में एसआई विकास सक्सेना, हेड कांस्टेबल अजब सिंह, कांस्टेबल मुकेश गिरि, प्रताप मौर्य, अशोक और भुवनेश शामिल थे। एसएसपी डॉ. संजीव गुप्ता ने बधाई के साथ ही टीम को पांच हजार रुपये का इनाम देने को कहा है।
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आसानी से बनवा सकते हैं किसी की भी मुहर
मुहर बनाने के लिए बाकायदा लाइसेंस जारी होता है। लाइसेंसधारक का यह फर्ज है कि किसी भी सरकारी अधिकारी, संस्था या उसके पदाधिकारी के नाम की मुहर बनाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि ये गलत हाथों में तो नहीं जा रही है, अधिकृत व्यक्ति ही उनके पास मुहर बनवाने आया है। लेकिन, कचहरी के आसपास मुहर बनाने वालों को ऑर्डर देकर किसी की भी मुहर आसानी से बनवाई जा सकती है। इनमें से कुछ के पास तो लाइसेंस तक नहीं है।
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‘मुहर बनाने के लिए लाइसेंस जारी होता है, अधिकृत तौर पर ही मुहर बनाई जा सकती है। बिना लाइसेंस मुहर बनवाने वालों के खिलाफ हम जल्द ही कार्रवाई करेंगे। यह कानूनन अपराध है।’ - शीलधर यादव, सिटी मजिस्ट्रेट