बरेली। जिले के मझगवां ब्लॉक में भूगर्भ जल के गंभीर संकट को देखते हुए शासन ने नि:शुल्क बोरिंग, निजी गहरे नलकूपों और सरकारी गहरे नलकूप लगाने पर रोक लगा दी। मीरगंज में यह पाबंदी पहले से ही है और अब इसके सख्ती से पालन को कहा गया है। प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि संबंधित विभागों के अधिकारी भूजल विकास, वर्षा जल संचयन और भूूजल रिचार्जिंग जैसी योजनाओं पर काम करें, ताकि संकट से निपटा जा सके।
भूगर्भ जल की वास्तविक स्थिति के आंकलन को लेकर केंद्रीय जल आयोग की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक, राज्य के 820 ब्लॉकों में से 76 ब्लाकों को अतिदोहित, 32 को क्रिटिकल, 107 को सेमी क्रिटिकल और 605 को सुरक्षित घोषित किया गया है। भूगर्भ जल की उपलब्धता के हिसाब से बरेली के दो ब्लाकों मझगवां और मीरगंज को सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में रखा गया है। जबकि, पड़ोसी जिले बदायूं के सात ब्लाकों अंबियापुर, आसफपुर, बिसौली, गुन्नौर, इस्लामनगर, सहसवान व जुनाबई को क्रिटिकल ब्लाकों के रूप में चिन्हित किया गया है। इस समस्या से निपटने के लिए अब मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की ओर से संबधित डीएम को कड़ी हिदायतों के साथ पत्र जारी किया गया है। डीएम से कहा गया है कि अतिदोहित, क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल चिन्हित किए गए ब्लाकों में नि:शुल्क बोरिंग, निजी गहरे नलकूपों और सरकारी गहरे नलकूप योजना पर रोक लगा दी जाए। ताकि, भूगर्भ जल के बढ़ते संकट को और अधिक गंभीर होने से रोका जा सके। निर्देश जारी किया गया है कि संबंधित विभागों के अधिकारी भूजल विकास, वर्षा जल संचयन और भूूजल रिचार्जिंग जैसी योजनाओं पर काम करें, ताकि भूगर्भ जल संकट से निपटा जा सके। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाए।
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तेजी से बढ़ रहा भूगर्भ जल संकट
सर्वे रिपोर्ट पर नजर डालें तो राज्य में भूगर्भ जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2004 के सर्वे में जहां अतिदोहित ब्लाकों की संख्या 37 थी, वहीं वर्ष 2009 के सर्वे में इनकी संख्या बढ़कर 76 हो गई है। जहां तक क्रिटिकल ब्लाकोें का सवाल है तो वर्ष 2004 की तुलना में इनकी संख्या 13 से बढ़कर 32 व सेमी क्रिटिकल की संख्या 88 से बढ़कर 107 हो गई है।