बरेली। जिला अस्पताल से सोमवार को एक और मासूम का अपहरण हो गया। डेढ़ साल के इस बच्चे को एक युवक उस वक्त उसकी पांच वर्षीय बहन की गोद से छीनकर ले गया, जब सुबह वह इमरजेंसी के बाहर खड़ी थी। बेटा चोरी होने के बारे में पता लगने के बाद बदहवास मां-बाप ने शहर के तमाम इलाकों को छान मारा, पुलिस ने भी खोजबीन की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। जिला अस्पताल परिसर से बच्चा चोरी होने की तीन महीने के अंदर यह तीसरी घटना है। इससे पहले महिला अस्पताल से दो बच्चों को चुरा लिया गया था।
सीबीगंज इलाके के गांव सनौआ में रहने वाले सुशील चौरसिया और शिवरानी ने पेट की बीमारी की वजह से अपने 12 वर्षीय बेटे सुमित को 15 मई को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। 18 मई को सुमित का ऑपरेशन हुआ, जिसके बाद से वह इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है। बेटे की देखभाल के लिए सुशील और शिवरानी दोनों 15 मई से ही जिला अस्पताल में पड़े हैं। पांच वर्षीय बेटी शालिनी और डेढ़ वर्ष का बेटा अमित भी यहीं उनके साथ थे। सुशील के मुताबिक सुबह करीब आठ बजे इमरजेंसी वार्ड में सफाई शुरू हुई तो उन्होंने शालिनी को अमित के साथ बाहर भेज दिया। सफाई होने के बाद वह उसे बुलाने बाहर गए तो वहां न शालिनी थी, न अमित। उन्होंने दोनों को पहले अस्पताल परिसर और फिर बाहर निकलकर तलाश किया। खोजबीन करते हुए वह कुतुबखाना पहुंचे तो शालिनी तो एक तरफ रोती हुई खड़ी मिल गई, लेकिन अमित नहीं था।
बकौल सुशील, शालिनी ने उन्हें बताया कि वह इमरजेंसी के बाहर ही अमित को गोद में लेकर खड़ी थी। तभी पीली शर्ट पहने हुए एक युवक उसे टॉफी दिलाने का झांसा देकर बाहर ले गया। अस्पताल के गेट पर ही उसने अमित को उसकी गोद से छीन लिया और भाग निकला। शालिनी उसके पीछे कुतुबखाना चौराहे तक दौड़ी, लेकिन वह उसे नहीं मिला। सुशील ने बताया कि शालिनी के सारा वाकया बताने के बाद उन्होंने अपने बड़े भाई मुन्ना के साथ इज्जतनगर, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, जंक्शन और बस अड्डों समेत तमाम जगह अमित को तलाश किया, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। सीएमएस के सूचना दिए जाने के बाद कोतवाली पुलिस जिला अस्पताल पहुंची। सुशील और शिवरानी से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने भी अमित को तलाश करने की कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
‘बच्चे के गायब होने की शिकायत मिलने के बाद मैने कोतवाली पुलिस को इसकी सूचना दे दी थी। पुलिस ने बच्चे के मां-बाप से बातचीत की है।’
- सुधांशु कुमार, सीएमएस जिला अस्पताल
‘ऐसी घटनाएं बेहद गंभीर हैं। मैं कल ही इस मामले में सीएमएस से रिपोर्ट लूंगा। उसके बाद इस मामले की जांच कराई जाएगी।’- मनीष चौहान, डीएम
‘मामला गंभीर है। डीएम और सीएमओ से बातचीत करेंगे। मामले की जांच होगी और इसके पीछे जो भी हैं उन्हें तलाश कर जल्द मामले का खुलासा किया जाएगा।’ डॉ. संजीव गुप्ता, एसएसपी
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केस-1 छह मार्च को बिहारीपुर में रहने वाले कैलाश शर्मा की पत्नी नेहा ने महिला अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। दो घंटे बाद ही जच्चा-बच्चा वार्ड से एक महिला बच्ची को टीका लगवाने के बहाने उठाकर ले गई। इसके बाद न उस महिला का पता लगा, न बच्ची का। कैलाश ने कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन ढाई महीने गुजरने के बाद भी पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर सकी।
केस-2, 27 मार्च को आंवला के बारीखेड़ा गांव के हरपाल की बेटी को लेबर रूम के बाहर से अगवा किया गया। हरपाल ने अपनी बड़ी बेटी को यहां इलाज के लिए भर्ती कराया था। उनकी मंझली बेटी पुष्पा नौ महीने की रजनी को गोद में लेकर इमरजेंसी वार्ड के बाहर खिला रही थी। इसी दौरान एक व्यक्ति ने रजनी को पुष्पा की गोद से छीनकर भाग गया था। दो दिन बाद बच्ची कलेक्ट्रेट के पास मिली थी।
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जिला अस्पताल में नहीं किया कोई सुरक्षा इंतजाम
इससे पहले दो बच्चे महिला अस्पताल से चुराए गए थे। एक बच्ची तो पुलिस को इत्तफाक से रास्ते में पड़ी मिल गई, लेकिन दूसरी का कोई पता नहीं लगा। इन घटनाओं के बाद महिला अस्पताल में डीएम के आदेश पर तीन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इनमें दो कैमरे लेबर रूम के बाहर और एक मुख्य गेट पर लगा है। अस्पताल के मुख्य गेट में भी बदलाव किया गया। ऑपरेशन थिएटर, एक्सरे वार्ड, लेबर रूम और इमरजेंसी की तरफ का रास्ता बंद कर दिया गया। इसके साथ उस वक्त एक दरोगा और दो सिपाहियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। उसी दौरान महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा वार्ड के पीछे का दरवाजा बंद करने और वहां आगंतुक रजिस्टर रखने की बात कही गई थी। हालांकि आगंतुक रजिस्टर का इंतजाम यहां अब भी नहीं है। सिर्फ यही नहीं, बच्चा चोरी की दोनों घटनाएं चूंकि महिला अस्पताल में हुईं, लिहाजा सुरक्षा के जो भी इंतजाम हुुए सिर्फ वहीं हुए। जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था के बारे में किसी ने नहीं सोचा। अस्पताल प्रशासन की यही लापरवाही सोमवार को सुशील चौरसिया और शिवरानी को भारी पड़ गई।
एडी हेल्थ को सूचना तक नहीं दी सीएमएस ने
जिला अस्पताल से सोमवार को बच्चे के अपहरण की वारदात के बाद सीएमएस ने एडी हेल्थ को सूचना तक नहीं दी। बुरी तरह नाराज एडी हेल्थ डॉ. आरआर त्यागी ने कहा कि जिला अस्पताल में बदइंतजामी की वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। अगर इसका प्रबंधन उनके हाथ में होता तो वह अब तक उसकी सूरत बदल चुके होते। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल के सीएमएस उनसे कोई मदद नहीं चाहते। बच्चे के अपहरण की वारदात के बाद उन्होंने उन्हें फोन तक करने की जहमत नहीं उठाई।
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बहुत चक्कर काटे, किसी ने हमारी नहीं सुनी: कैलाश
बरेली। पूरे ढाई महीने गुजर गए कैलाश शर्मा और नेहा को दर-दर भटकते हुए। आईजी, डीआईजी और डीएम सभी अफसरों का वे दोनों दरवाजा खटखटा चुके हैं। कोतवाली के तो न जाने कितने चक्कर उन्होंने लगाए हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी बेटी को तलाश करने की कोई खास कोशिश नहीं हुई। कैलाश कहते हैं, अगर किसी मंत्री या अफसर का बेटा गायब होता तो शायद पुलिस ने उसे जंगल से भी खोज निकाला होता। मगर हम जैसे आम आदमी की कोई नहीं सुनता। वह आरोप लगाते हैं कि उनकी बेटी को चोरी कराने में अस्पताल वालों का ही हाथ था। पुलिस की तफ्तीश में भी कुछ अस्पताल कर्मियों के नाम सामने आए थे, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। कैलाश कहते हैं कि ढाई महीनों में एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरा जब उन्होंने और उनकी पत्नी नेहा ने भरपेट खाना खाया हो। बेटी का पता लगाने को तंत्रमंत्र करने वालों के पास भी तमाम चक्कर लगाए। सोमवार को भी पूजापाठ कराने के सिलसिले में वे गढ़वाल (उत्तराखंड) गए हुए थे। बता दें कि छह मार्च की सुबह 9.40 बजे जिला महिला अस्पताल में नेहा ने बच्ची को जन्म दिया था। करीब दो घंटे बाद ही एक महिला टीका लगवाने के बहाने बच्ची को ले गई थी। उसके बाद उसका कुछ पता नहीं लगा।
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