बरेली। बीवी की बेवफाई से मानसिक तनाव में आकर अलग-अलग स्थानों पर दो युवकों ने आत्महत्या कर ली। इनमें एक युवक ने फांसी लगाई और दूसरा चलती ट्रेन के आगे कूद गया। गौरतलब यह कि मरने के बाद दोनों में किसी की भी पत्नी अंतिम दर्शन को नहीं गईं।
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केस एक- करीब 30 वर्षीय वीरेंद्र सिंह उर्फ बबलू कैंट क्षेत्र की प्रकाश कालोनी (चनेहटी) में पिता चरन सिंह के साथ किराए पर रह रहा था। वीरेंद्र केबिल आपरेटर के पास दो हजार रुपये प्रति महीने की नौकरी करता था। उसकी मां विजय की दस साल पहले ही मौत हो गई थी। शनिवार रात पिता चरन सिंह आंगन में सोए थे। जबकि वीरेंद्र कमरे में लेटा था। चरन सिंह के मुताबिक वीरेन्द्र रोज सुबह पांच बजे उठ जाया करता था। उनके उठने से पहले घर की सफाई करने के साथ चाय भी बना लेता था। मगर रविवार की सुबह आठ बजे चरन सिंह जागे तो कमरा अंदर से बंद था। खिड़की से झांककर देखा तो वीरेंद्र फांसी पर लटक रहा था। उनके बताने पर कालोनी वाले जमा हो गए। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा खुलवाकर शव नीचे उतरवाया। मौके पर सुसाइड नोट पड़ा मिला, जिसमें लिखा था- मैं अपनी मौत का खुद जिम्मेदार हूं। मेरी बीवी मायके चली गई। परिवार वाले भी साथ नहीं दे रहे हैं। मैं जिंदगी से बहुत तंग आ चुका हूं। पुलिस के मुताबिक तीन साल पहले जितेंद्र का विवाह सरोज के साथ हुआ था। मगर कुछ माह बाद ही पति-पत्नी के रिश्ते बिगड़ गए। आठ माह पहले जिला अस्पताल में सरोज ने बेटे को जन्म दिया था। वहां से डाक्टर के छुट्टी देने पर सरोज अस्पताल से ही अपने मायके ग्रासमंडी नकटिया चली गई, और उसके बाद ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा लिखा दिया। वीरेंद्र के परिवार की गरीबी को देखते हुए रिश्तेदारों ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। समझौते के अनुसार दहेज का सारा सामान और बारात को खाना खिलाने में खर्च हुए दस हजार रुपये भी दिलवा दिए। सरोज ने मुकदमा वापस लेने को कहा था, लेकिन बाद में वायदे से मुकर गई। पिछले पांच महीने से सरोज के मायके वाले दस हजार रुपये मांग रहे थे। रकम नहीं देने पर सरोज ने दर्ज कराए गए मुकदमे में जेल भिजवाने की धमकी दे रहे थे। इसी से वीरेंद्र मानसिक तनाव में था।
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केस दो - करीब 22 वर्षीय टेंपो चालक औरंगजेब उर्फ बबलू मीरगंज के गुगई गांव का निवासी था। चार साल पहले उसका निकाह शब्बो के साथ हुआ था। कुछ महीने बाद ही पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आई गई। करीब एक साल पहले शब्बो ने बेटे को जन्म दिया था। उसके कुछ दिन बाद ही बेटा समेत मायके चली गई। औरंगजेब कई बार बुलाने गया, लेकिन शब्बो ने गुगई जाने से साफ इनकार कर दिया। पिछले एक माह से औरंगजेब अपनी ससुराल नवदिया मिलक में किराए पर रह रहा था। रविवार की सुबह पांच बजे राहगीरों ने नवदिया मिलक के सामने रेलवे ट्रैक पर औरंगजेब का शव पड़ा देखा। सूचना मिलने पर पहुंचे परिजनों ने शव की शिनाख्त की। परिजन उसकी हत्या का आरोप ससुराल वालों पर लगा रहे थे। पुलिस के मुताबिक शनिवार की शाम औरंगजेब पत्नी को बुलाने ससुराल गया था, लेकिन शब्बो ने जाने से इनकार कर दिया। इससे औरंगजेब अंदर ही अंदर टूट गया और ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। किला इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश शर्मा के मुताबिक मामले की छानबीन की जा रही है।