बरेली। स्वास्थ्य कर्मी मनोज और करुणा ने लव मैरिज किया था। शादी से पहले ही दंपति के नाम परिजनों ने पुश्तैनी मकान कर दिया था। प्यार का सफर सही से तीन साल भी नहीं चल सका और विवाद होने लगे। मामला महिला थाने तक पहुंच गया था। एक बार समझौता हुआ तो दूसरी बार में मुकदमा दर्ज हो गया। पत्नी बच्चों को लेकर मायके में रहने लगी। अकेलापन और मुकदमे में गिरफ्तारी का डर अंदर ही अंदर मनोज को खोखला करने लगा था। स्वभाव में परिवर्तन आया तो सामान्य बातों पर भी वह चिड़चिड़ाने लगे थे।
नौ जुलाई 2008 में मनोज की शादी इन्द्रानगर के गौरी शंकर सक्सेना की बेटी करुणा से हुई। मृतक के भाई राजकुमार ने बताया कि सगाई के बाद पुश्तैनी मकान मनोज और करुणा के नाम कर दिया गया था। इसके बाद भाई के हम लोगों से संबंध न के बराबर रह गए थे।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक 12 मार्च को हुए झगड़े में मनोज ने पत्नी से लिखित में माफी मांगी थी। कहा था कि वह पत्नी का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न नहीं करेंगे। इसके बाद 18 अप्रैल को करुणा ने आरोप लगाया कि पति ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया है। बच्चों को लेकर वह मायके में रह रही हैं। महिला थाने में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा भी दर्ज हो गया। इस पर गिरफ्तारी के डर से मनोज ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था। मुकदमे और अकेले रहने के टेंशन में मनोज शराब कुछ ज्यादा ही पीने लगे थे। इसी वजह से पारिवारिक झगड़ा शांत ही नहीं हो रहा था। अंतत: मनोज का शव शनिवार को मिलने से परिजनों में कोहराम मच गया। पुलिस मामले की छानबीन में लगी है।