बरेली। हर परीक्षा में कोई पास होता है और कोई फेल। दरअसल परीक्षा का मतलब ही यही होता है, लेकिन एक परीक्षा ऐसी भी है जिसमें हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं और इनमें से कोई फेल नहीं होता। किसी भी शख्स की यह परीक्षा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले होती है जो परिवहन विभाग के अफसर लेते हैं। इस परीक्षा का नतीजा शत-प्रतिशत रहने की वजह से हमेशा उस पर सवाल उठते हैं, लेकिन अफसरों को फिर भी यह दावा करने से कोई गुरेज नहीं कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में नियम-कायदों का पूरा पालन किया जा रहा है।
परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2011-12 में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 275867 लोगों ने आवेदन किया और इन सभी को लाइसेंस जारी हो गए। इन लोगों में से 11008 ने प्रोफेशनल लाइसेंस और 257799 लोगों ने नॉन प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इन लोगों में 7165 आवेदक महिलाएं थीं। परिवहन विभाग के अफसरों के दावे पर यकीन किया जाए तो पौने तीन लाख से ज्यादा इन सभी आवेदकों की बाकायदा परीक्षा ली गई, लेकिन इनमें से किसी को भी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अयोग्य नहीं पाया गया। एआरटीओ (प्रशासन) एमएल चौरसिया इतना जरूर बताते हैं कि कोई आवेदक अगर पहली बार परीक्षा में पास नहीं होता तो दूसरी बार में हो जाता है। हर महीने औसतन 70-80 लोग फेल होते हैं, जो परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित 50 रुपये की फीस देकर दोबारा परीक्षा में शामिल होते हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ कि दूसरी बार भी कोई आवेदक फेल हो गया हो।
सिर्फ ट्रैफिक संकेतों के ज्ञान की परीक्षा
परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदकों की परीक्षा में उनसे सिर्फ ट्रैफिक सिग्नल और संकेतों के बारे में उनके ज्ञान का जायजा लिया जाता है। किसी ने चाहे प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए आवेदन किया हो चाहे नॉन प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए, महकमे उसका मेडिकल तक कराने का प्रावधान नहीं है। आवेदक को खुद ही यह प्रमाणित करना होता है कि वह ड्राइविंग के लिए पूरी तरह फिट है। कोई किसी के खिलाफ शिकायत करे तो जरूर जांच कराई जाती है।
बाक्स
साल भर में दुगनी हुई महिलाओं की तादाद
ड्राइविंग के मामले में महिलाओं में भी आत्मनिर्भर होने की ललक बढ़ रही है। वर्ष 2010-11 में जहां सिर्फ 3178 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, वहीं 2011-12 में महिला आवेदकों की तादाद करीब-करीब दुगने तक पहुंच गई। इस साल 7165 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है।
बरेली। हर परीक्षा में कोई पास होता है और कोई फेल। दरअसल परीक्षा का मतलब ही यही होता है, लेकिन एक परीक्षा ऐसी भी है जिसमें हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं और इनमें से कोई फेल नहीं होता। किसी भी शख्स की यह परीक्षा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले होती है जो परिवहन विभाग के अफसर लेते हैं। इस परीक्षा का नतीजा शत-प्रतिशत रहने की वजह से हमेशा उस पर सवाल उठते हैं, लेकिन अफसरों को फिर भी यह दावा करने से कोई गुरेज नहीं कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में नियम-कायदों का पूरा पालन किया जा रहा है।
परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2011-12 में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 275867 लोगों ने आवेदन किया और इन सभी को लाइसेंस जारी हो गए। इन लोगों में से 11008 ने प्रोफेशनल लाइसेंस और 257799 लोगों ने नॉन प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इन लोगों में 7165 आवेदक महिलाएं थीं। परिवहन विभाग के अफसरों के दावे पर यकीन किया जाए तो पौने तीन लाख से ज्यादा इन सभी आवेदकों की बाकायदा परीक्षा ली गई, लेकिन इनमें से किसी को भी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अयोग्य नहीं पाया गया। एआरटीओ (प्रशासन) एमएल चौरसिया इतना जरूर बताते हैं कि कोई आवेदक अगर पहली बार परीक्षा में पास नहीं होता तो दूसरी बार में हो जाता है। हर महीने औसतन 70-80 लोग फेल होते हैं, जो परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित 50 रुपये की फीस देकर दोबारा परीक्षा में शामिल होते हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ कि दूसरी बार भी कोई आवेदक फेल हो गया हो।
सिर्फ ट्रैफिक संकेतों के ज्ञान की परीक्षा
परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदकों की परीक्षा में उनसे सिर्फ ट्रैफिक सिग्नल और संकेतों के बारे में उनके ज्ञान का जायजा लिया जाता है। किसी ने चाहे प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए आवेदन किया हो चाहे नॉन प्रोफेशनल लाइसेंस के लिए, महकमे उसका मेडिकल तक कराने का प्रावधान नहीं है। आवेदक को खुद ही यह प्रमाणित करना होता है कि वह ड्राइविंग के लिए पूरी तरह फिट है। कोई किसी के खिलाफ शिकायत करे तो जरूर जांच कराई जाती है।
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साल भर में दुगनी हुई महिलाओं की तादाद
ड्राइविंग के मामले में महिलाओं में भी आत्मनिर्भर होने की ललक बढ़ रही है। वर्ष 2010-11 में जहां सिर्फ 3178 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, वहीं 2011-12 में महिला आवेदकों की तादाद करीब-करीब दुगने तक पहुंच गई। इस साल 7165 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है।