बरेली। जिले में सिलकोसिस से पीड़ित एक भी मरीज नहीं है। यह जिले भर से मिले आंकड़े बताते हैं। दरअसल, स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सूचना आयोग से मांगी गई जानकारी के आधार पर यह सूचना दी कि इस बीमारी से जिले में 2006-2011 तक किसी की जान नहीं गई है। एडी हेल्थ दफ्तर में चिट्ठी पहुंची तो उन्होंने मंडल के सभी सीएमओ को पत्र जारी कर इसकी जानकारी 12 मई तक भेजने के निर्देश दिए। बांदा जिले के जावेद हाशमी ने यह सूचना अपने जिले के सीएमओ से मांगी थी, वहां सूचना नहीं मिली तो उन्होंने यह जानकारी राज्य सूचना आयोग से मांगी। इसके बाद मामला स्वास्थ्य महानिदेशक के यहां पहुंच गया।
सीएमओ डॉ. एके त्यागी ने बताया कि हमारे जिले में ऐसा कोई मरीज रजिस्टर्ड नहीं है। न ही हमारे यहां इनके लिए अलग से कोई चिकित्सा मुहैया कराई जाती है। यह बीमारी पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाले खनन इलाकों में ज्यादा पाई जाती है।
बरेली। जिले में सिलकोसिस से पीड़ित एक भी मरीज नहीं है। यह जिले भर से मिले आंकड़े बताते हैं। दरअसल, स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सूचना आयोग से मांगी गई जानकारी के आधार पर यह सूचना दी कि इस बीमारी से जिले में 2006-2011 तक किसी की जान नहीं गई है। एडी हेल्थ दफ्तर में चिट्ठी पहुंची तो उन्होंने मंडल के सभी सीएमओ को पत्र जारी कर इसकी जानकारी 12 मई तक भेजने के निर्देश दिए। बांदा जिले के जावेद हाशमी ने यह सूचना अपने जिले के सीएमओ से मांगी थी, वहां सूचना नहीं मिली तो उन्होंने यह जानकारी राज्य सूचना आयोग से मांगी। इसके बाद मामला स्वास्थ्य महानिदेशक के यहां पहुंच गया।
सीएमओ डॉ. एके त्यागी ने बताया कि हमारे जिले में ऐसा कोई मरीज रजिस्टर्ड नहीं है। न ही हमारे यहां इनके लिए अलग से कोई चिकित्सा मुहैया कराई जाती है। यह बीमारी पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाले खनन इलाकों में ज्यादा पाई जाती है।