बोर्ड की परीक्षाओं में शत प्रतिशत परिणाम देने वाले शिक्षकों को एक साल का सेवा विस्तार।
- फोटो : Demo Pic
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बरेली।
स्नातक में दाखिले के लिए छात्रों की पसंद पर साइबर कैफे वाले कॉलेजों से मिलीभगत कर अपनी मनमानी चला रहे हैं। कैफे वाले आवेदन में उन कॉलेजों को प्राथमिकता से चुन रहे हैं, जहां छात्र प्रवेश लेना ही नहीं चाहता। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय ने कॉलेज चुनने के बाद संशोधन का विकल्प ही नहीं दिया।
छात्र व्यक्तिगत अपनी जानकारी तो संशोधित कर सकता है, लेकिन एक बार जो कॉलेज प्राथमिकता में चुन लिया गया उसे नहीं बदला जा सकता है। सैकड़ों छात्र कैफे वालों की मनमानी से परेशान हो रहे हैं। जो छात्र बरेली के आसपास का कॉलेज चाह रहा है, उसके फॉर्म में आंवला या नवाबगंज के कॉलेज भरे जा रहे हैं। दूसरी तरफ एडमिशन फॉर्म भरने के नाम पर डेढ़ सौ से दो सौ रुपये भी वसूले जा रहे हैं। मनचाहे कॉलेज में आवेदन न कर पाने से कई ने तो रेग्युलर की जगह प्राइवेट पढ़ाई का मन बनाना शुरू कर दिया है।
ऐसे हो रहा खेल
शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा दिक्कत आ रही है। कुछ कॉलेज संचालकों ने साइबर कैफे वालों से सेटिंग कर रखी है। प्रति छात्र उनको कमीशन तक तय कर दिया है। बस पहली प्राथमिकता पर उनका कॉलेज आना चाहिए। नवाबगंज क्षेत्र के एक कॉलेज संचालक की मानें तो साइबर कैफे वाले बुलाकर-बुलाकर छात्रों के फॉर्म भर रहे हैं और अपनी मर्जी का कॉलेज डाल रहे हैं। इसका खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं।
केस एक :
बीडीए कॉलोनी निवासी किशन सिंह ने एक साइबर कैफे से बीए के लिए आवेदन किया है। उन्होंने प्राथमिकता में खुसरो कॉलेज को रखा, लेकिन कैफे वाले ने न्यू खुसरो कॉलेज, आंवला भर दिया। अब किशन रेग्युलर की जगह प्राइवेट एडमिशन लेने की सोच रहे हैं।
केस दो:
राजेंद्र नगर निवासी तुषार ने बीकॉम के लिए एक साइबर कैफे से आवेदन कराया। उसने प्राथमिकता पर महाराजा अग्रसेन कॉलेज को रखा, मगर कैफे वाले ने आदर्श महाविद्यालय, हरदुआ, नवाबगंज भर दिया। छात्र अब चाहकर भी कॉलेज संशोधित नहीं कर पा रहा है।
केस तीन:
रिठौरा निवासी ज्योति शर्मा ने बीएससी के लिए आवेदन किया। प्राथमिकता पर महाराजा अग्रसेन को रखा, पर साइबर कैफे वाले ने सूरज भान कॉलेज का नाम भर दिया।