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प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गए पांच लाख पौधे
Barabanki
Published by:
Updated Tue, 09 Jul 2013 05:30 AM IST
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कहीं भी, कभी भी।
उधौली(बाराबंकी)। पिछले वर्ष अभियान चलाकर जिले की सभी ग्राम सभाआें में लगभग एक लाख महिलाओं द्वारा पांच लाख पौधों को रोपित कर रिकॉर्ड बनाया गया था जिसे लेकर प्रशासन ने अपनी खूब पीठ भी ठोंकी थी लेकिन एक वर्ष पूरा होने तक ज्यादातर पौधों का नामोनिशान तक नहीं रह गया। लगाए गए पौधे सिर्फ अभियान तक की सीमित रहे। हाल यह है कि इस अभियान में लगाई गई महिलाओं को अभी तक मजदूरी भी नहीं मिल पाई है।
मालूम हो कि पिछले वर्ष नौ जुलाई 2012 को एक अभियान चलाया गया था। इस अभियान की कमान महिला मजदूरों को दी गई थी और इस कार्य को अंजाम देने के लिए लगभग एक माह पहले से ही महिलाआें के जॉब कार्ड बनाने व बैंक में खाता खुलवाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया था। उद्देश्य था कि एक महिला कम से कम पांच पौधे जरूर लगाए, इस प्रकार पूरे जिले में पांच लाख के ऊपर पौधे रोपित किए गए थे।
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का उत्साह वर्धन करने के लिए इस अभियान में जिलाधिकारी, सीडीओ से लेकर बीडीओ, ग्राम विकास अधिकारी, रोजगार सेवक, आंगनबाडी, वन विभाग, सहित कई विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। महिलाओं को मनरेगा के तहत रोजगार देने का भी उद्देश्य था लेकिन महिला मजदूर के रोजगार की बात तो दूर, कई जगह तो उन्हें अब तक मेहनताना भी नहीं दिया गया। इस अभियान में पौधे लगाने के बाद उनको किसी ने देखने की जरूरत भी नहीं समझी। ग्राम समाज की जमीन, विद्यालय परिसर, तालाब व अन्य सार्वजानिक स्थलों पर नीम, इमली, आम, करौंदा, कदंब, पीपल, शीशम, सहित कई प्रकार के पौधों को लगाया गया था लेकिन लगाए गए पौधों की सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण धीरे-धीरे ये पौधे नष्ट होते गए। पंचायत कर्मियों ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। इस समय ज्यादातर पौधों का नामोनिशान तक नहीं बचा।
उधौली(बाराबंकी)। पिछले वर्ष अभियान चलाकर जिले की सभी ग्राम सभाआें में लगभग एक लाख महिलाओं द्वारा पांच लाख पौधों को रोपित कर रिकॉर्ड बनाया गया था जिसे लेकर प्रशासन ने अपनी खूब पीठ भी ठोंकी थी लेकिन एक वर्ष पूरा होने तक ज्यादातर पौधों का नामोनिशान तक नहीं रह गया। लगाए गए पौधे सिर्फ अभियान तक की सीमित रहे। हाल यह है कि इस अभियान में लगाई गई महिलाओं को अभी तक मजदूरी भी नहीं मिल पाई है।
मालूम हो कि पिछले वर्ष नौ जुलाई 2012 को एक अभियान चलाया गया था। इस अभियान की कमान महिला मजदूरों को दी गई थी और इस कार्य को अंजाम देने के लिए लगभग एक माह पहले से ही महिलाआें के जॉब कार्ड बनाने व बैंक में खाता खुलवाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया था। उद्देश्य था कि एक महिला कम से कम पांच पौधे जरूर लगाए, इस प्रकार पूरे जिले में पांच लाख के ऊपर पौधे रोपित किए गए थे।
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का उत्साह वर्धन करने के लिए इस अभियान में जिलाधिकारी, सीडीओ से लेकर बीडीओ, ग्राम विकास अधिकारी, रोजगार सेवक, आंगनबाडी, वन विभाग, सहित कई विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। महिलाओं को मनरेगा के तहत रोजगार देने का भी उद्देश्य था लेकिन महिला मजदूर के रोजगार की बात तो दूर, कई जगह तो उन्हें अब तक मेहनताना भी नहीं दिया गया। इस अभियान में पौधे लगाने के बाद उनको किसी ने देखने की जरूरत भी नहीं समझी। ग्राम समाज की जमीन, विद्यालय परिसर, तालाब व अन्य सार्वजानिक स्थलों पर नीम, इमली, आम, करौंदा, कदंब, पीपल, शीशम, सहित कई प्रकार के पौधों को लगाया गया था लेकिन लगाए गए पौधों की सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण धीरे-धीरे ये पौधे नष्ट होते गए। पंचायत कर्मियों ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। इस समय ज्यादातर पौधों का नामोनिशान तक नहीं बचा।