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बाराबंकी। पहले इंटरलॉकिंग पर लाखों रुपये खर्च किए गए और अब मार्ग का चौड़ीकरण कराया जा रहा है। इसके चलते करीब एक साल पूर्व 37 लाख की लागत से कराई गई इंटरलॉकिंग को उखाड़ दिया गया हैं। लोक निर्माण विभाग खंड तीन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इंटरलॉकिंग पर खर्च लाखों रुपया बर्बाद हो गया है। लेकिन विभाग की सेहत पर इसका जरा भी असर नहीं दिख रहा है।
देवां तिराहे से लेकर जिला कारागार के निकट रेलवे क्रॉसिंग तक पिछले साल लोक निर्माण विभाग खंड-तीन द्वारा करीब 37 लाख रुपये से इंटरलॉकिंग का कार्य कराया गया था। विभागीय अधिकारियों को यह बात अच्छी तरह से पता थी कि भविष्य में मार्ग का चौड़ीकरण होना है और इसका प्रस्ताव भी बनाकर भेजा जा चुका है। बावजूद इसके इंटरलॉकिंग भी करा दी गई। इंटरलॉकिंग का कार्य कराए एक साल भी नहीं बीता होगा कि हाल ही में देवां तिराहे से छह किलोमीटर तक करीब 12 करोड़ की लागत से मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिससे इंटरलॉकिंग पर खर्च किया गया लाखों रुपया बर्बाद हो गया। इंटरलॉकिंग का पत्थर उखड़वाकर सड़क किनारे लगा दिया गया जो धीरे-धीरे अब गायब हो रहा है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों की सेहत पर इसका जरा भी असर नहीं दिख रहा है।
बाराबंकी। पहले इंटरलॉकिंग पर लाखों रुपये खर्च किए गए और अब मार्ग का चौड़ीकरण कराया जा रहा है। इसके चलते करीब एक साल पूर्व 37 लाख की लागत से कराई गई इंटरलॉकिंग को उखाड़ दिया गया हैं। लोक निर्माण विभाग खंड तीन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इंटरलॉकिंग पर खर्च लाखों रुपया बर्बाद हो गया है। लेकिन विभाग की सेहत पर इसका जरा भी असर नहीं दिख रहा है।
देवां तिराहे से लेकर जिला कारागार के निकट रेलवे क्रॉसिंग तक पिछले साल लोक निर्माण विभाग खंड-तीन द्वारा करीब 37 लाख रुपये से इंटरलॉकिंग का कार्य कराया गया था। विभागीय अधिकारियों को यह बात अच्छी तरह से पता थी कि भविष्य में मार्ग का चौड़ीकरण होना है और इसका प्रस्ताव भी बनाकर भेजा जा चुका है। बावजूद इसके इंटरलॉकिंग भी करा दी गई। इंटरलॉकिंग का कार्य कराए एक साल भी नहीं बीता होगा कि हाल ही में देवां तिराहे से छह किलोमीटर तक करीब 12 करोड़ की लागत से मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिससे इंटरलॉकिंग पर खर्च किया गया लाखों रुपया बर्बाद हो गया। इंटरलॉकिंग का पत्थर उखड़वाकर सड़क किनारे लगा दिया गया जो धीरे-धीरे अब गायब हो रहा है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों की सेहत पर इसका जरा भी असर नहीं दिख रहा है।