बांदा। बीते वित्तीय वर्ष में अंबेडकर गांवों में सीसी रोड व केसी ड्रेनेज (नाली) निर्माण में नौ करोड़ खर्च करने के बाद भी हालात जस के तस बने हैं। अधिकारी धनराशि पर्याप्त न होने की बात कह पल्ला झाड़ रहे हैं। कार्यदाई संस्था ने पूरी रकम खर्च कर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली है। उधर बताते हैं कि बसपा सरकार की जगह सपा के सत्तारूढ़ होने के बाद अब अंबेडकर गांवों की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं। अब अधिकारी लोहिया गांवों के चयन में जुटे हैं।
वित्तीय वर्ष 2011-12 में ग्राम विकास विभाग ने अंबेडकर गांवों में सीसी रोड व केसी ड्रेनेज निर्माण के लिए नौ करोड़ रुपए जारी किए थे। अंबेडकर गांव बछेई, बड़ोखर खुर्द, नरैनी ग्रामीण, मूंगुस, कदेहरा, महोतरा, बसरेही, ओरन ग्रामीण, पल्हरी सानी, उमरी, कुमेढ़ा, कल्यानपुर, सोनरही, अरसौड़ा और मथनाखेड़ा में उक्त धनराशि से सीसी रोड व केसी ड्रेनेज निर्माण में अनुसूचित जाति बस्ती को प्राथमिकता देने को कहा गया था। कार्यदाई संस्था पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदारों के जरिए मनमुताबिक काम कर पूरी रकम खर्च कर डाली। गांवों की अधिकांश आबादी सीसी रोड व केसी ड्रेनेज से अछूती है। जिला विकास अधिकारी एसपी सिंह का कहना है कि इसके पूर्व के वर्षों में धनराशि खर्च करने की कोई सीमा नहीं थी। संबंधित अंबेडकर गांवों को पूरी तरह संतृप्त करने के निर्देश दिए गए थे। वित्तीय वर्ष 2011-12 में धनराशि सीमा निर्धारित कर 15 गांवों के लिए मात्र नौ करोड़ रुपए जारी किए गए थे। नतीजे में जितनी धनराशि मिली उसी आधार पर काम पूरा कराया गया। निर्देश के मुताबिक अनुसूचित जाति की बस्तियों को प्राथमिकता दी गई।