बांदा। एनआरएचएम घोटाले में भारत के महालेखा परीक्षक और कैग ने 5700 करोड़ के घोटाले का जो पर्दाफाश किया है उसमें कुछ अंश बांदा का भी है। केंद्र सरकार की इस योजना में पांच वर्षों के दौरान बांदा जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर छह अरब 25 करोड़ रुपए ठिकाने लगाए गए।
एनआरएचएम प्रदेश के बड़े घोटालों में से एक है। इस घोटाले के महत्वपूर्ण आरोपी तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा बांदा जनपद के हैं। सीबीआई ने उन्हें आरोपी बनाकर जेल में रखा है। उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। तत्कालीन मंत्री के गृह जनपद में भी एनआरएचएम योजना में जमकर बंदरबांट हुआ। पिछले पांच वर्षों में 2007 से चालू वर्ष 2012 तक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में छह अरब 25 करोड़ 45 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत स्वयंसेवी संगठन के आशीष सागर को मिली जानकारी में बताया गया है कि पांच वर्षों की अवधि में कुल 6,59,46,744 रुपए प्राप्त हुए। इसमें एक अरब 96 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर डाली गई। लगभग 37 लाख 92 हजार रुपए वापस कर दिए गए। कुल स्वीकृत धनराशि 10,25,05,340 और खर्च की गई राशि 5,15,85,026 रुपए है। बांदा जनपद में वर्ष 2007 से 2012 तक एनआरएचएम में 6,25,45,04,441 रुपए खर्च हुए हैं। स्वयंसेवी का कहना है कि इतनी भारी-भरकम रकम से बांदा जनपद में बड़ी तादाद में बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई जा सकती थी।