बांदा। फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश करने वाली जिला अस्पताल में महिला इमर्जेंसी कक्ष के बाहर पड़ी तड़पती रही। काफी देर तक डाक्टरों ने उसे देखना तक जरूरी नहीं समझा। बाद में परिजनों के हंगामे के बाद उसे इमर्जेंसी में दाखिल किया गया।
बबेरू क्षेत्र के पवइया गांव निवासी प्रेम कुमार की पत्नी सीता (30) ने बृहस्पतिवार को सुबह कमरा बंद कर साड़ी से फंदा लगा लिया। उसके चार बच्चे हैं। बच्चों के दरवाजा पीटने पर कोई जवाब न मिलने पर घर में घरवालों को अनहोनी की आशंका हुई। देवर लालू सब्बल से दीवार तोड़कर कमरे के अंदर पहुंचा और उसे फंदे से उतारा। अचेत अवस्था में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां डाक्टरों ने जिला अस्पताल रिफर कर दिया। उधर, जिला अस्पताल में इमर्जेंसी के बेड खाली नहीं थे। परिजनों ने गंभीर हालत में महिला को इमर्जेंसी कक्ष के बाहर ही लिटा दिया और डाक्टरों से इलाज की फरियाद की लेकिन डाक्टरों ने बाहर आकर उसे नहीं देखा। लगभग एक घंटा बीतने के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। शोर-शराबा करने के बाद उसे बेड मिला और इलाज हुआ। पति प्रेम कुमार ने बताया कि उसकी मां और पत्नी के बीच कहासुनी हो गई। इसी बात को लेकर उसने फांसी लगा ली।