बांदा। विधान सभा चुनाव की तर्ज पर राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव में भी प्रचार-प्रसार और खर्च आदि को लेकर कड़े आदेश दिए हैं। अलग-अलग समितियां गठित कर इन पर निगरानी रखी जाएगी। टेंट, शामियाना, कुर्सी, मेज आदि का किराया और भोजन की थाली की कीमत भी जिला स्तर पर गठित समिति तय करेगी। आयोग प्रत्याशियों को लेखा-जोखा रजिस्टर उपलब्ध कराएगा।
राज्य निर्वाचन आयोग संयुक्त आयुक्त जयप्रकाश सिंह ने जिला मजिस्ट्रेट/जिला निर्वाचन अधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि प्रचार-प्रसार पर निगरानी के लिए समिति गठित की जाए। राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रचार सामग्री का परीक्षण के बाद ही प्रचार की अनुमति दी जाएगी। इसमें टीवी चैनल, केबिल टीवी नेटवर्क, रेडियो व सभी प्रकार के चुनाव प्रचार संसाधन शामिल होंगे। कोई भी मुद्रक प्रचार सामग्री प्रकाशित कराने वाले और उसे पहचानने वाले दो व्यक्तियों के हस्ताक्षर कराने के बाद ही प्रकाशन करेगा। कोई व्यक्ति पार्टी अथवा प्रत्याशी के अनुमति के बिना प्रचार सामग्री प्रकाशित कराएगा तो उसके विरुद्ध आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। समिति प्रिंट मीडिया में दिए जाने वाले विज्ञापनों की निगरानी करेगी।
चुनावी खर्च के अनुश्रवण को जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठित होगी। राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित प्रारूप पर व्यय लेखा रजिस्टर तैयार कराएगा। रिटर्निंग अधिकारी प्रतीक चिन्ह आवंटन के दिन सभी प्रत्याशियों को यह रजिस्टर उपलब्ध कराएंगे। प्रतिदिन खर्च की गई धनराशि रजिस्टर में दर्ज कर प्रत्येक सप्ताह इसे समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। चुनाव के बाद व्यय लेखा रजिस्टर का परीक्षण करने पर निर्धारित सीमा से अधिक खर्च पाया गया तो प्रत्याशी की जमानत जब्त कर दी जाएगी। चुनाव खर्च के लिए बैंक में अलग खाता खोलना होगा। इसमें नामांकन पत्र दाखिल करने की तिथि से नतीजे घोषित होने तक लेन-देन किया जाएगा।