बांदा। 22 वर्ष से ज्यादा मुद्दत तक मुकदमा चला और सजा हुई सिर्फ तीन-तीन वर्ष। मामला पशु क्रूरता अधिनियम से संबंधित था। दो आरोपियों को कैद के साथ एक-एक हजार रुपए जुर्माने की भी सजा सुनाई गई है। जुर्माना न देने पर तीन-तीन माह की सजा और भुगतनी होगी। इसी क्रम में पशु क्रूरता अधिनियम में 50-50 रुपए जुर्माना या 10-10 दिन की सजा भी सुनाई गई।
27 जनवरी 1990 को तड़के पुलिस लाइन के सिपाही सुरेश कुमार, सुरेंद्र सिंह, भगोले प्रसाद और होमगार्ड शिवशंकर मिश्रा ने गश्त के दौरान कचहरी तिराहे पर महोबा की तरफ से आ रहे ट्रक को रोकने की कोशिश की लेकिन वह रुका नहीं और सिपाहियों को कुचलने की कोशिश भी की। चारों सिपाहियों ने पीछे आए एक अन्य ट्रक में बैठकर भाग रहे ट्रक का पीछा किया और सिंह धर्मकांटा के पास उसे रोक लिया। ट्रक में 18 मृत और 37 जीवित गायें मिलीं। इनके साथ दो व्यापारी पीर मोहम्मद पुत्र इमाम बख्श निवासी हथगांव (फतेहपुर) और मुबीन पुत्र बशीर निवासी मोहम्मदपुरा (फतेहपुर) तथा ट्रक चालक शिवेंद्र सिंह पुत्र मंगल सिंह निवासी मथुरा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने तीनों के विरुद्ध धारा 307 आईपीसी और पशु क्रूरता अधिनियम (प्रोवेशन आफ क्रूवेल्टी टू एनीमल एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर तीनों को जेल भेज दिया। तफ्तीश के बाद आरोप पत्र भी अदालत में दाखिल कर दिया। अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता मिस्कीन अली व वसीम उल्ला खां ने छह गवाह पेश किए। मुख्य न्यायिक अधिकारी ने दोनों अभियुक्तों पीर मोहम्मद व मुबीन को धारा 307 में तीन-तीन वर्ष की कैद और एक-एक हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न देने पर तीन-तीन माह की अतिरिक्त कैद और पशु क्रूरता अधिनियम में 50-50 रुपए जुर्माना या 10-10 दिन की सजा सुनाई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। गौरतलब है कि मुकदमे का फैसला 22 वर्ष 3 माह 26 दिन बाद हुआ।