बांदा। ‘ये दुनिया है यहां हिज्र का मातम क्यों है, आईने टूटते रहते हैं तुम्हें गम क्यों है।’ इस शेर के कहने वाले बुजुर्ग शायर जौकी बांदवी नहीं रहे। मंगलवार की शाम उनका निधन हो गया। बुधवार को उनके अंतिम संस्कार में शायर, साहित्यकार और राजनीतिक लोग शामिल हुए।
इशरत हुसैन उर्फ जौकी बांदवी लगभग 74 वर्ष के थे। उर्दू अदब की दुनिया में उनकी खासी शोहरत थी। मुशायरों की महफिल में तरन्नुम के साथ उनके कलाम गूंजते तो समां बंध जाता। अब यह आवाज थम गई। पद्माकर चौराहा स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। सपा जिलाध्यक्ष शमीम बांदवी, कांग्रेस उपाध्यक्ष मोहम्मद इदरीस समेत शायर नश्तर, अहमद दिलनवाज, डा.इजहार खालिद, नजरे आलम इत्यादि ने जनाजे में शिरकत की। उधर, कांग्रेस कार्यालय में शोक सभा हुई। इस मौके पर शायर जौकी बांदवी को श्रद्धांजलि दी गई। जिलाध्यक्ष साकेत बिहारी मिश्र, स्थाई सचिव शिवबली सिंह, हसरत फरीदी, सुकदेव गांधी, हरिश्चंद्र वाजपेयी, सुधीर खरे कमल, राजकुमार सिंह आदि शोक सभा में शामिल रहे।