बांदा। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक डा.अवध बिहारी गुप्त के जन्मदिन पर कवियों और शायरों ने समा बांधा। स्वैच्छिक संगठन ‘संजीवनी’ के तत्वावधान में सोमवार की शाम दुर्गा बाजार में गजल और काव्य की रसधार बही। नगर पालिका परिषद पूर्व अध्यक्ष राजकुमार राज ने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक डा.अवधबिहारी गुप्त ने नेत्रदान कर दूसरों को राह दिखाई है।
महोबा महाविद्यालय प्राचार्य डा.गया प्रसाद द्विवेदी ने संस्कृत काव्य पाठ के साथ कार्यक्रम की शुरूआत कराई। ठाकुर दास ‘पंछी’ ने सरस्वती वंदना पढ़ी। कवि सुधीर खरे ‘कमल’ की प्रस्तुति ‘पत्थरों का व्यापार होता शीशे की दुकानों मे,ं अपनापन नहीं दिखता आज के इंसानों में’ सराही गई। अहमद दिल नवाज बांदवी का शेर ‘जिस बाग पे निगाह पड़ी वह उजड़ गया, बरसाएं अपनी आंख का पानी कहां-कहां’ सराहा गया। रहमान बांदवी, हुबाब बांदवी, डा.बीएल शर्मा ‘धीरज’, नवाब असर, आनंद किशोर लाल, अशोक त्रिपाठी जीतू, सुभाषचंद्र श्रीवास्तव, डा.खालिद इजहार, हमराज, रामबाबू गुप्ता, हकीम बशीर तालिब, शरीफ बांदवी आदि ने शेर व गजल पेश किए। कुमारी मानसी व सिमरन ने डा.अवध बिहारी गुप्त की रचनाएं पढ़कर सुनाईं।
चंद्रिका प्रसाद सक्सेना ‘कीर्ति ने भी अपनी रचना सुनाई। पूूर्व प्रधानाचार्य बाबूलाल गुप्त ने डा.अवधबिहारी गुप्त के व्यक्तित्व पर चर्चा की। अमित गुप्ता, आदित्य गुप्ता, रामचंद्र गुप्त बउवा, मोहम्मद असलम, सविता गुप्ता, बीना, दिलीप, अमित कुमार, निशांत, अरविंद गुप्ता, कैलाशचंद्र, रागिनी, अर्चना मौजूद रहे। संजीवनी अध्यक्ष आशुतोष गुप्त ने आभार जताया। सद्गुरु सेवा संघ जानकीकुंड (चित्रकूट) से आई टीम ने लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया।