बांदा। सुहागिन महिलाओं ने बरगदाही अमावस्या (बट सावित्री व्रत) श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई। बरगद के फेरे लगाकर पति की दीर्घायु की कामना की। सती सावित्री की कथा सुनकर व्रत परायण किया।
रविवार को शहर, कसबों व ग्रामीण क्षेत्रों में बरगद के पेड़ों के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ रही। नई नवेली दुल्हनों में व्रत व परिक्रमा को लेकर ज्यादा उत्साह रहा। घरों में आटा और गुड़ से गुलगुले बनाए। कच्चे सूत से हल्दी के रंगे पीले धागे की माला बनाई। बरगद के पेड़ में एपन और सिंदूर लगाकर 12 फेरे लगाए और कच्चा सूत लपेटा। पूजन के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सती सावित्री की कथा सुनाई। बताया कि सावित्री ने सतीत्व के बल पर बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर अपने पति सत्यवान का मृत शरीर गोद में रखकर यमराज से मुक्त करा लिया। सत्यवान जीवित हो गए। कथा के बाद महिलाओं ने चना और बरगद की डोढ़ी निगलकर व्रत परायण किया। बलखंडी नाका, सिंहवाहिनी, दुर्गा बाजार, मेम साहब की सरांय, स्वराज कालोनी, इंदिरा नगर, बांबेश्वर पहाड़, छोटी बाजार समेत सभी मोहल्लों में बरगद पेड़ों के फेरे लगाने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ती रही। इसी प्रकार बबेरू, अतर्रा, बिसंडा, कमासिन, नरैनी, खप्टिहा कलां, मटौंध, जसपुरा, गिरवां, तिंदवारी, महुआ, बदौसा समेत कसबों व गांवों में बट सावित्री व्रत उल्लास के साथ मनाया गया।