बांदा। सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों की अंधेरगर्दी और अव्यवस्थाओं ने किसानों का रुख आढ़तों और बाजारों की तरफ मोड़ना शुरू कर दिया है। खरीद केंद्रों से तंग आ चुके किसान आढ़तियों को सस्ते दामों पर अपनी मेहनत और मशक्कत से उगाई फसल सौंप रहे हैं। प्रति कुंतल उन्हें दो से ढाई सौ रुपए तक घाटा उठाना पड़ रहा है लेकिन इसके बाद भी वह इसे संतोष का सौदा बता रहे हैं।
गौरतलब है कि सरकारी केंद्रों में कमीशनखोरी और अनियमितताओं की भरमार है। कई-कई दिन तक डेरा डालने के बाद भी गेहूं खरीद नहीं हो रही। अब तो नौबत लाठियां और गोली चलने तक की आ गई है। ऐसे में जरूरतमंद किसानों ने अपना रुख बाजार की तरफ कर दिया है। आढ़तियों को औने-पौने दामों में अनाज बेच रहे हैं। रविवार को कई किसान कैथी बाजार स्थित गल्ला मंडी में ट्रैक्टरों पर गेहूं लेकर आए। आढ़तियों ने तुरत-फुरत उनका गेहूं खरीद लिया। न छलना लगा न बारी का इंतजार करना पड़ा। किसान जय सिंह (पलरा), दिनेश शुक्ला (लामा), भुवन (करहिया), जोरावर सिंह (बंशीपुर), अखिल मिश्रा (डिंगवाही) आदि ने कहा कि सरकारी खरीद केंद्रों में वही गेहूं बेच सकता है जिसे पैसे की जल्दी न हो। अव्वल तो वहां बारी नहीं आती और आ भी जाए तो घंटों तौल नहीं होती। भुगतान मिलने में पसीना बहाना पड़ता है सो अलग। और भी तमाम दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। किसानों ने कहा कि दूसरी तरफ बाजार में यह कोई झंझट नहीं है। आढ़ती तुरंत तौल करके भुगतान कर देते हैं। यह बात अलग है कि खरीद केंद्रों में 1285 रुपए प्रति कुंतल का भाव है लेकिन आढ़ती 950 से 1050 रुपए प्रति कुंतल खरीद रहे हैं। खरीद केंद्रों में इंतजार करने पर भाडे़ के ट्रैक्टर वाले किसानों को गेहूं बेचना महंगा सौदा साबित होता है।