बड़ोखर बुजुर्ग। गांवों को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए लागू की गई स्वच्छ शौचालय योजना में जमकर हाथ साफ किए गए। केंद्र सरकार की इस योजना का हश्र यह हुआ कि मात्र 30 फीसदी शौचालय ही निर्माण हुए। 70 फीसदी शौचालयोें का पैसा हजम कर लिया गया। यह बानगी सिर्फ महुआ ब्लाक की है।
गांवों में लोग खुले में शौच को न जाएं इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छ शौचालय योजना चलाई है। इसके तहत लाभार्थियोें को पैसा देकर शौचालय निर्मित कराए जाते हैं। इस योजना में भी अंधेरगर्दी का वही खेल हुआ जो अन्य योजनाओं में होता है। योजना को लेकर चौतरफा शिकायतों की भरमार रही। ऐसे भी तमाम मामले सामने आए कि लाभार्थी को भनक भी नहीं लगी और उसके नाम से शौचालय निर्माण का पैसा निकाल लिया गया। शिकायतों के मद्देनजर डीएम शीतल वर्मा ने हरेक ग्राम पंचायत में दो-दो शिक्षकों को सत्यापन के लिए तैनात किया। वर्ष 2006 से 2012 तक शौचालयों की स्वीकृति और निर्माण की जांच के आदेश दिए।
डीएम के आदेश पर हुए सत्यापन ने इस योजना में हुई धांधली की कलई खोल दी। बानगी की तौर पर सिर्फ महुआ ब्लाक काफी है। यहां सत्यापनकर्ताओं ने पाया है कि बमुश्किल 30 फीसदी शौचालय बने हैं। कई मामलों में लाभार्थियों ने सत्यापनकर्ताओं को बताया कि उन्हें पता ही नहीं कि उनके नाम से शौचालय स्वीकृत हुआ है। ग्राम प्रधान और सचिव जांच के दायरे में हैं।
बड़ोखर बुजुर्ग गांव का सत्यापन सुधीर श्रीमाली और विजयपाल तोमर ने किया। यहां 2006 से 2011-12 तक 519 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 206 का हुआ। पैगंबरपुर में 2009-10 से 2011-12 तक 178 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 74 का हुआ। यहां तरुण कुमार और बृजेश सिंह ने सत्यापन किया। मनीपुर में 2009 से 2012 तक 276 स्वीकृत शौचालयों में मात्र 44 बने। यहां सत्यापन मारुतिनंदन शर्मा और शिवप्रसाद ने किया। मलेहरा निवादा में पिछले तीन वर्षाें में 208 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 56 का हुआ। यहां सत्यापन मोहम्मद हनीफ और नारायण प्रसाद ने किया।
इसी प्रकार माधौपुर में पिछले वर्ष 110 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ तीन का हुआ है। यहां सत्यापन जगमोहन और लालाराम ने किया है। शौचालय निर्माण में इस अंधेरगर्दी की बाबत महुआ ब्लाक के खंड विकास अधिकारी आरके श्रीवास्तव का कहना है कि अभी उनके पास सत्यापन रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने पर वह इसे देखेंगे। कोई भी गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
बड़ोखर बुजुर्ग। गांवों को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए लागू की गई स्वच्छ शौचालय योजना में जमकर हाथ साफ किए गए। केंद्र सरकार की इस योजना का हश्र यह हुआ कि मात्र 30 फीसदी शौचालय ही निर्माण हुए। 70 फीसदी शौचालयोें का पैसा हजम कर लिया गया। यह बानगी सिर्फ महुआ ब्लाक की है।
गांवों में लोग खुले में शौच को न जाएं इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छ शौचालय योजना चलाई है। इसके तहत लाभार्थियोें को पैसा देकर शौचालय निर्मित कराए जाते हैं। इस योजना में भी अंधेरगर्दी का वही खेल हुआ जो अन्य योजनाओं में होता है। योजना को लेकर चौतरफा शिकायतों की भरमार रही। ऐसे भी तमाम मामले सामने आए कि लाभार्थी को भनक भी नहीं लगी और उसके नाम से शौचालय निर्माण का पैसा निकाल लिया गया। शिकायतों के मद्देनजर डीएम शीतल वर्मा ने हरेक ग्राम पंचायत में दो-दो शिक्षकों को सत्यापन के लिए तैनात किया। वर्ष 2006 से 2012 तक शौचालयों की स्वीकृति और निर्माण की जांच के आदेश दिए।
डीएम के आदेश पर हुए सत्यापन ने इस योजना में हुई धांधली की कलई खोल दी। बानगी की तौर पर सिर्फ महुआ ब्लाक काफी है। यहां सत्यापनकर्ताओं ने पाया है कि बमुश्किल 30 फीसदी शौचालय बने हैं। कई मामलों में लाभार्थियों ने सत्यापनकर्ताओं को बताया कि उन्हें पता ही नहीं कि उनके नाम से शौचालय स्वीकृत हुआ है। ग्राम प्रधान और सचिव जांच के दायरे में हैं।
बड़ोखर बुजुर्ग गांव का सत्यापन सुधीर श्रीमाली और विजयपाल तोमर ने किया। यहां 2006 से 2011-12 तक 519 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 206 का हुआ। पैगंबरपुर में 2009-10 से 2011-12 तक 178 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 74 का हुआ। यहां तरुण कुमार और बृजेश सिंह ने सत्यापन किया। मनीपुर में 2009 से 2012 तक 276 स्वीकृत शौचालयों में मात्र 44 बने। यहां सत्यापन मारुतिनंदन शर्मा और शिवप्रसाद ने किया। मलेहरा निवादा में पिछले तीन वर्षाें में 208 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ 56 का हुआ। यहां सत्यापन मोहम्मद हनीफ और नारायण प्रसाद ने किया।
इसी प्रकार माधौपुर में पिछले वर्ष 110 शौचालय स्वीकृत हुए। निर्माण सिर्फ तीन का हुआ है। यहां सत्यापन जगमोहन और लालाराम ने किया है। शौचालय निर्माण में इस अंधेरगर्दी की बाबत महुआ ब्लाक के खंड विकास अधिकारी आरके श्रीवास्तव का कहना है कि अभी उनके पास सत्यापन रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने पर वह इसे देखेंगे। कोई भी गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।