बांदा। घर-घर फ्रिज की उपलब्धता ने बर्फ फैक्ट्रियों के उत्पादन पर लगाम लगा दी लेकिन कीमत कई गुना बढ़ गई। बर्फ जमाने की तकनीक भी बदली है। बर्फ फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि शादी-ब्याह और समारोहों में ही अब सिल्ली बर्फ की खपत होती है। पहले के मुकाबले बड़ी बर्फ फैक्ट्रियों के उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह लगातार खपत कम होना है। दूसरी ओर कई छोटे कारोबारी कम दाम में काम कर उन्हें और चपत लगा रहे हैं।
पांच वर्षाें पूर्व बांदा शहर में लगभग एक सैकड़ा सिल्ली की प्रतिदिन बिक्री थी। एक सिल्ली का वजन 120 किलो होता था। साल-दल-साल इसकी मांग घटती गई। अब यह 40 से 50 सिल्ली प्रतिदिन पर आकर टिक गई है। अलबत्ता दरों में तकरीबन कई गुना की वद्धि हुई है। पांच वर्ष पूर्व जो सिल्ली 210 रुपए की मिलती थी वह 500 से 525 रुपए के बीच बिक रही है।
बर्फ विक्रेता राजू मसुरहा, दिनेश कुमार आदि बताते हैं कि खपत कम होने की मुख्य वजह घर-घर फ्रिज होना है। अब सिर्फ शादी-सहालग के मौके पर ही बर्फ की मांग बढ़ती है। थोड़ा-बहुत कारोबार कुल्फी और जूस बेचने वाले बढ़ाए हुए हैं।
दूसरी ओर छोटे स्तर पर बर्फ का उत्पादन करने वाले कई लोग 50 किलो की सिल्ली 60 रुपए में बेच रहे हैं। बडे़ उत्पादकों को यह नहीं सुहा रहा। उधर, बर्फ उत्पादकों में यूनियन न होने से दामों पर एक राय नहीं है। पूर्व में बर्फ फैक्ट्री मालिकों की यूनियन थी। यह यूनियन ही भाव तय करती थी। सारी फैक्ट्रियां एक ही भाव बेचती थीं।
बांदा। घर-घर फ्रिज की उपलब्धता ने बर्फ फैक्ट्रियों के उत्पादन पर लगाम लगा दी लेकिन कीमत कई गुना बढ़ गई। बर्फ जमाने की तकनीक भी बदली है। बर्फ फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि शादी-ब्याह और समारोहों में ही अब सिल्ली बर्फ की खपत होती है। पहले के मुकाबले बड़ी बर्फ फैक्ट्रियों के उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह लगातार खपत कम होना है। दूसरी ओर कई छोटे कारोबारी कम दाम में काम कर उन्हें और चपत लगा रहे हैं।
पांच वर्षाें पूर्व बांदा शहर में लगभग एक सैकड़ा सिल्ली की प्रतिदिन बिक्री थी। एक सिल्ली का वजन 120 किलो होता था। साल-दल-साल इसकी मांग घटती गई। अब यह 40 से 50 सिल्ली प्रतिदिन पर आकर टिक गई है। अलबत्ता दरों में तकरीबन कई गुना की वद्धि हुई है। पांच वर्ष पूर्व जो सिल्ली 210 रुपए की मिलती थी वह 500 से 525 रुपए के बीच बिक रही है।
बर्फ विक्रेता राजू मसुरहा, दिनेश कुमार आदि बताते हैं कि खपत कम होने की मुख्य वजह घर-घर फ्रिज होना है। अब सिर्फ शादी-सहालग के मौके पर ही बर्फ की मांग बढ़ती है। थोड़ा-बहुत कारोबार कुल्फी और जूस बेचने वाले बढ़ाए हुए हैं।
दूसरी ओर छोटे स्तर पर बर्फ का उत्पादन करने वाले कई लोग 50 किलो की सिल्ली 60 रुपए में बेच रहे हैं। बडे़ उत्पादकों को यह नहीं सुहा रहा। उधर, बर्फ उत्पादकों में यूनियन न होने से दामों पर एक राय नहीं है। पूर्व में बर्फ फैक्ट्री मालिकों की यूनियन थी। यह यूनियन ही भाव तय करती थी। सारी फैक्ट्रियां एक ही भाव बेचती थीं।