नरैनी (बांदा)। क्षेत्र के दूरवर्ती गांवों में पेयजल समस्या बेहद गंभीर होती जा रही है। कुछ मजरों में लोग मवेशियों के साथ नदी-नालों में एक घाट पर गंदा पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं। बांदा के मूड़ी गांव के विश्वकर्मा का पुरवा की हालत भी बहुत खराब है। यहां एक भी कुआं अथवा हैंडपंप नहीं है। पुरवा के पास बरार नाले के गड्ढों में भरा गंदा पानी ही इनका सहारा है। इन्हीं गड्ढों में ग्रामीण और उनके मवेशी पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं।
ग्रामीण रामकृपाल विश्वकर्मा, राजाराम विश्वकर्मा आदि ने बताया कि नालों के गड्ढों में पानी खत्म होने पर खुदाई करके इन्हीं चोहड़ों से पानी का जुगाड़ करेंगे। गर्मी में पानी की काफी दिक्कतें रहती हैं। इसी प्रकार मुन्नी देवी का कहना है कि उन्होंने यहीं का पानी पीकर जिंदगी गुजार ली। ब्यूरो
नरैनी (बांदा)। क्षेत्र के दूरवर्ती गांवों में पेयजल समस्या बेहद गंभीर होती जा रही है। कुछ मजरों में लोग मवेशियों के साथ नदी-नालों में एक घाट पर गंदा पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं। बांदा के मूड़ी गांव के विश्वकर्मा का पुरवा की हालत भी बहुत खराब है। यहां एक भी कुआं अथवा हैंडपंप नहीं है। पुरवा के पास बरार नाले के गड्ढों में भरा गंदा पानी ही इनका सहारा है। इन्हीं गड्ढों में ग्रामीण और उनके मवेशी पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं।
ग्रामीण रामकृपाल विश्वकर्मा, राजाराम विश्वकर्मा आदि ने बताया कि नालों के गड्ढों में पानी खत्म होने पर खुदाई करके इन्हीं चोहड़ों से पानी का जुगाड़ करेंगे। गर्मी में पानी की काफी दिक्कतें रहती हैं। इसी प्रकार मुन्नी देवी का कहना है कि उन्होंने यहीं का पानी पीकर जिंदगी गुजार ली। ब्यूरो