मृत्युंजय द्विवेदी
अतर्रा। वकालत और काश्तकारी एक साथ। अदालतों में मुकदमों की पैरोकारी के बाद बचा समय खेत में बिताया तो बंजर धरती पर सूरजमुखी खिल उठे। धरती की रौनक तो बढ़ी ही जेब की आमदनी में भी वृद्धि हो गई। डेढ़ किलो बीज से चार कुंतल पैदावार कर तीन महीने में 15 हजार रुपए का मुनाफा कमा लिया।
गुमाई गांव के राजेश द्विवेदी पेशे से अधिवक्ता हैं। नियमित रूप से वकालत करते हैं लेकिन उन्हें खेतीबाड़ी का भी शौक है। उनके पास 16 बीघा जमीन में ज्यादातर सूखी और बंजर है। सिंचाई का पर्याप्त साधन न होने से फसल नहीं हो पाती। श्री द्विवेदी ने इस बीच बंजर भूमि में सूरजमुखी उगाने की ठान ली। एक बीघा में डेढ़ किलो सूरजमुखी का बीज बो दिया।
बुवाई से पहले खेती की जुताई कर पलेवा किया। शंकर प्रजाति का केवीएसएच बीज डालने के बाद मात्र 90 दिन में फसल तैयार हो गई। उन्होंने बताया कि सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में की जा सकती है। श्री द्विवेदी ने बताया कि अच्छी पैदावार के लिए तीन बार सिंचाई की जरूरत होती है। एक बीघा में कुल चार कुंतल सूरजमुखी पैदा हुई। यह 4500 रुपए प्रति कुंतल की दर से बिकी। श्री द्विवेदी का कहना है कि अगले वर्ष से वह सूरजमुखी खेती का दायरा और बढ़ाएंगे। उनकी देखादेखी कुछ और किसानों ने भी सूरजमुखी की खेती का मन बनाया है। उन्होंने किसानों से गेहूं के साथ सूरजमुखी की पैदावार कर आर्थिक रूप से मजबूत होने की सलाह दी। बताया कि सूरजमुखी का फूल बाजार में महंगा बिकता है। रिफाइंड आयल बनाने वाली कंपनियां अच्छी खासी कीमत अदा करती हैं।