बांदा। बहू को आत्महत्या के लिए मजबूर कर देने के आरोपी सास-ससुर, पति और ननद को अदालत ने दोषी ठहराते हुए सात-सात वर्ष की सश्रम कारावास सजा सुनाई। अदालत ने इसके साथ ही सभी पर पांच- पांच हजार रुपए जुर्माने भी किया है। यह जुर्माना न देने पर सभी को छह-छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
देहात कोतवाली क्षेत्र के गुरेह गांव निवासी चंद्रपाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसने अपनी पुत्री की शादी 20 जून 2003 को फतपुरवा गांव निवासी वंशगोपाल के साथ की थी। आरोप है कि शादी के बाद से ही पति समेत सास केशनिया उर्फ दुजिया, ससुर भुलुवा और ननद सोना दहेज की मांग लेकर उसकी पुत्री को प्रताड़ित करते रहे। आरोप लगाया था कि इन सभी ने मिलकर 21 जुलाई 2007 को मंजू की पीटकर हत्या कर दी और मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम कराया था।
तफ्तीश के बाद पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिए। अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता मूलचंद्र कुशवाहा और शिवभूषण वर्मा ने सात गवाह पेश किए। मंगलवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश डा.गोकुलेश शर्मा ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए चारों आरोपियों को धारा 306 आईपीसी में सात-सात वर्ष की साश्रम कारावास और सभी पर पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। यह जुर्माना अदा न करने पर सभी को छह-छह माह की कैद और होगी।
बांदा। बहू को आत्महत्या के लिए मजबूर कर देने के आरोपी सास-ससुर, पति और ननद को अदालत ने दोषी ठहराते हुए सात-सात वर्ष की सश्रम कारावास सजा सुनाई। अदालत ने इसके साथ ही सभी पर पांच- पांच हजार रुपए जुर्माने भी किया है। यह जुर्माना न देने पर सभी को छह-छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
देहात कोतवाली क्षेत्र के गुरेह गांव निवासी चंद्रपाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसने अपनी पुत्री की शादी 20 जून 2003 को फतपुरवा गांव निवासी वंशगोपाल के साथ की थी। आरोप है कि शादी के बाद से ही पति समेत सास केशनिया उर्फ दुजिया, ससुर भुलुवा और ननद सोना दहेज की मांग लेकर उसकी पुत्री को प्रताड़ित करते रहे। आरोप लगाया था कि इन सभी ने मिलकर 21 जुलाई 2007 को मंजू की पीटकर हत्या कर दी और मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम कराया था।
तफ्तीश के बाद पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिए। अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता मूलचंद्र कुशवाहा और शिवभूषण वर्मा ने सात गवाह पेश किए। मंगलवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश डा.गोकुलेश शर्मा ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए चारों आरोपियों को धारा 306 आईपीसी में सात-सात वर्ष की साश्रम कारावास और सभी पर पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। यह जुर्माना अदा न करने पर सभी को छह-छह माह की कैद और होगी।