बांदा। तीन दशक के बाद एक बार फिर रमजान माह जुलाई में आ पड़े हैं। रोजेदारों को इस माह सबसे ज्यादा लंबे वक्त तकरीबन सवा 15 घंटे का रोजा रखना होगा।
रोजा हर साल इस्लामी कलेंडर के रमजान माह में रखा जाता है। यह 30 या 29 होते हैं। तड़के पौ फटने से लेकर शाम को सूरज डूबने तक रोजे की अवधि है। तड़के सहरी में रोजेदार खाते-पीते हैं। शाम को सूरज डूब जाने के बाद इफ्तार करते हैं यानी सूरज डूबने से लेकर सुबह पौ फटने तक रोजा नहीं होता। इस अवधि में रोजा रखने की इजाजत भी नहीं है। चांद, सूरज और धरती एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं जिसके नतीजे में हर माह दिन और रात में फर्क आ जाता है। हर माह ईसवी कलेंडर और हिजरी कलेंडर के बीच 10 या 11 दिनों का फर्क आता है। ईसवी कलेंडर सूरज के मुताबिक बना है और हिजरी कलेंडर चांद के मुताबिक चलता है।
सूरज और धरती की परिक्रमा में हर साल लगभग 10 या 11 दिन का अंतर आ जाता है। उदाहरण के लिए इस वर्ष रमजान माह 11 जुलाई से शुरू हुआ तो अगले वर्ष संभवत: यह पहली जुलाई से शुरू होगा। सबसे कम अवधि का रोजा मात्र 12 घंटे 2 मिनट का जनवरी माह में होता है। सबसे लंबी मुद्दत का रोजा 15 घंटा 31 मिनट जुलाई के शुरू में होता है।
बांदा। तीन दशक के बाद एक बार फिर रमजान माह जुलाई में आ पड़े हैं। रोजेदारों को इस माह सबसे ज्यादा लंबे वक्त तकरीबन सवा 15 घंटे का रोजा रखना होगा।
रोजा हर साल इस्लामी कलेंडर के रमजान माह में रखा जाता है। यह 30 या 29 होते हैं। तड़के पौ फटने से लेकर शाम को सूरज डूबने तक रोजे की अवधि है। तड़के सहरी में रोजेदार खाते-पीते हैं। शाम को सूरज डूब जाने के बाद इफ्तार करते हैं यानी सूरज डूबने से लेकर सुबह पौ फटने तक रोजा नहीं होता। इस अवधि में रोजा रखने की इजाजत भी नहीं है। चांद, सूरज और धरती एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं जिसके नतीजे में हर माह दिन और रात में फर्क आ जाता है। हर माह ईसवी कलेंडर और हिजरी कलेंडर के बीच 10 या 11 दिनों का फर्क आता है। ईसवी कलेंडर सूरज के मुताबिक बना है और हिजरी कलेंडर चांद के मुताबिक चलता है।
सूरज और धरती की परिक्रमा में हर साल लगभग 10 या 11 दिन का अंतर आ जाता है। उदाहरण के लिए इस वर्ष रमजान माह 11 जुलाई से शुरू हुआ तो अगले वर्ष संभवत: यह पहली जुलाई से शुरू होगा। सबसे कम अवधि का रोजा मात्र 12 घंटे 2 मिनट का जनवरी माह में होता है। सबसे लंबी मुद्दत का रोजा 15 घंटा 31 मिनट जुलाई के शुरू में होता है।