बांदा। सब्जियों के आसमान छू रहे दामों ने गरीबों व मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बुरी तरह गड़बड़ा दिया है। रसोइयों से हरी सब्जियां नदारद हो रही हैं। अरहर व अन्य दालें पहले से ही गरीबों की पहुंच से दूर हैं। उधर, हो रही बारिश ने भी सब्जियों की खेती चौपट कर दी है। लोगों ने आरोप लगाया है कि आलू व प्याज डंप कर व्यापारी इन्हें मुंहमांगे दामों पर बेच रहे हैं।
जुलाई माह में माटी भाव बिकने वाली लौकी व कद्दू इन दिनों 30-40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। करेला, शिमला मिर्च, भिंडी, तरोई खरीदना मध्यम वर्गीय परिवारों के वश में ही नहीं रह गया। आलू व प्याज के भाव भी आम आदमी के पहुंच से दूर हैं। आलू फुटकर में 18-20 रुपये किलो बिक रहा है। प्याज भी 30-35 रुपये किलो से नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर 60-70 रुपये किलो बिक रहा है। परवल 80 रुपये किलो तो बैगन 40-50 रुपये में बिक रहा है। पांच से छह लोगों के परिवार में एक बार की सब्जी खरीदने के लिए कम से कम 80-100 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसे में 100 से 150 रुपये दैनिक मजदूरी पाने वाले लोगों का बुरा हाल है। इनके यहां आलू खरीदने तक की नौबत नहीं आती।
उधर, थोक सब्जी व्यापारी मोहम्मद सलीम ने बताया कि इटावा व फतेहपुर से आलू की आमद होती है। यह वहीं से महंगा आ रहा है। प्याज व्यवसायी मोहम्मद शारिक ने बताया कि नासिक व नागपुर से प्याज की आमद कम हो गई है। माल कम होने से महंगे दामों पर बिक रही है। फुटकर सब्जी व्यवसायी कलीम, संतोष व रिजवान ने बताया कि जुलाई में स्थानीय सब्जी आ जाती थी। इस बार यहां की सब्जी बारिश से खराब हो गई है। बाजार में लौकी-कद्दू, खीरा व अन्य सब्जियां मौदहा, फतेहपुर या फिर कानपुर से लानी पड़ रही है।
बांदा। सब्जियों के आसमान छू रहे दामों ने गरीबों व मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बुरी तरह गड़बड़ा दिया है। रसोइयों से हरी सब्जियां नदारद हो रही हैं। अरहर व अन्य दालें पहले से ही गरीबों की पहुंच से दूर हैं। उधर, हो रही बारिश ने भी सब्जियों की खेती चौपट कर दी है। लोगों ने आरोप लगाया है कि आलू व प्याज डंप कर व्यापारी इन्हें मुंहमांगे दामों पर बेच रहे हैं।
जुलाई माह में माटी भाव बिकने वाली लौकी व कद्दू इन दिनों 30-40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। करेला, शिमला मिर्च, भिंडी, तरोई खरीदना मध्यम वर्गीय परिवारों के वश में ही नहीं रह गया। आलू व प्याज के भाव भी आम आदमी के पहुंच से दूर हैं। आलू फुटकर में 18-20 रुपये किलो बिक रहा है। प्याज भी 30-35 रुपये किलो से नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर 60-70 रुपये किलो बिक रहा है। परवल 80 रुपये किलो तो बैगन 40-50 रुपये में बिक रहा है। पांच से छह लोगों के परिवार में एक बार की सब्जी खरीदने के लिए कम से कम 80-100 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसे में 100 से 150 रुपये दैनिक मजदूरी पाने वाले लोगों का बुरा हाल है। इनके यहां आलू खरीदने तक की नौबत नहीं आती।
उधर, थोक सब्जी व्यापारी मोहम्मद सलीम ने बताया कि इटावा व फतेहपुर से आलू की आमद होती है। यह वहीं से महंगा आ रहा है। प्याज व्यवसायी मोहम्मद शारिक ने बताया कि नासिक व नागपुर से प्याज की आमद कम हो गई है। माल कम होने से महंगे दामों पर बिक रही है। फुटकर सब्जी व्यवसायी कलीम, संतोष व रिजवान ने बताया कि जुलाई में स्थानीय सब्जी आ जाती थी। इस बार यहां की सब्जी बारिश से खराब हो गई है। बाजार में लौकी-कद्दू, खीरा व अन्य सब्जियां मौदहा, फतेहपुर या फिर कानपुर से लानी पड़ रही है।