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बांदा। सत्ता की हनक और जोड़तोड़ के चलते सपा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव में 20 वोट मिलने का भरोसा था। सपा नेताओं ने इसके लिए काफी कवायदें की थीं लेकिन मिले सिर्फ 14 वोट। एक मुश्त छह वोट हाथ से फिसल जाने पर सपा खेमे में खासी खलबली है। खैर मना रहे हैं कि तीन वोट से लाज बच गई नहीं तो छह की तरह यह दो और खिसक जाते तो बड़ी किरकिरी होती।
अध्यक्ष चुनाव के लिए सपा नेता पिछले एक पखवारे से गोटें बैठा रहे थे। सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए हर वह हथकंडा अपनाया जो मुमकिन था। सदस्यों के आश्वासन और भरोसे के बलबूते सपा नेताओं ने अपने पाले में 25 में से 20 सदस्य मान लिए थे। जिलाध्यक्ष शमीम बांदवी से लेकर प्रत्याशी महेंद्र सिंह वर्मा तक 20 सदस्यों के समर्थन का दावा करते रहे लेकिन नतीजा सामने आते ही सपा नेताओं के चेहरे पर शिकन उभर आईं।
मात्र तीन वोटों से बाल-बाल शिकस्त बची। जीत की खुशी के साथ ही सपा गलियारों में यह चर्चा भी लगातार गर्म रही। उन छह सदस्यों को पहचानने की कोशिश शुरू हो गई है जो भरोसा दिलाने के बाद भी दांव दे गए।
अध्यक्ष का ताज पहन चुके सपा के महेंद्र सिंह वर्मा खुद इस बात पर हैरतजदा हैं कि एक मुश्त छह वोट उनकी झोली से कैसे खिसक गए?
सपा नेताओं ने चुनाव के लिए बाकायदा संचालन समिति गठित कर दी थी। इसमें विधायक विशंभर सिंह यादव, पूर्व उपाध्यक्ष अशोक सिंह गौर, पूर्व ब्लाक प्रमुख अनूप सिंह व तुलसीराम यादव, महासचिव राजेंद्र यादव, पियूष गुप्ता, दिनेश शर्मा आदि शामिल थे। विधायक सहित समिति के कुछ सदस्यों ने सदस्यों को पटाने के लिए जमकर कवायदें कीं।
उधर, पूर्व अध्यक्ष किरन वर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि वह बसपा के पाले से निकल गईं। उन्होंने सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। मात्र तीन वोटों से चुनाव हार गईं गीता सागर ने भी किरन वर्मा द्वारा उन्हें वोट न दिए जाने की बात कही है। उधर, सपा चुनाव संचालन समिति के एक सदस्य ने नाम न उजागर करने की शर्त के साथ बताया कि कुछ जिला पंचायत सदस्य ऐसे हैं जिनके बारे में दोनों ही तरफ से शंका की जा रही है।
बांदा। सत्ता की हनक और जोड़तोड़ के चलते सपा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव में 20 वोट मिलने का भरोसा था। सपा नेताओं ने इसके लिए काफी कवायदें की थीं लेकिन मिले सिर्फ 14 वोट। एक मुश्त छह वोट हाथ से फिसल जाने पर सपा खेमे में खासी खलबली है। खैर मना रहे हैं कि तीन वोट से लाज बच गई नहीं तो छह की तरह यह दो और खिसक जाते तो बड़ी किरकिरी होती।
अध्यक्ष चुनाव के लिए सपा नेता पिछले एक पखवारे से गोटें बैठा रहे थे। सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए हर वह हथकंडा अपनाया जो मुमकिन था। सदस्यों के आश्वासन और भरोसे के बलबूते सपा नेताओं ने अपने पाले में 25 में से 20 सदस्य मान लिए थे। जिलाध्यक्ष शमीम बांदवी से लेकर प्रत्याशी महेंद्र सिंह वर्मा तक 20 सदस्यों के समर्थन का दावा करते रहे लेकिन नतीजा सामने आते ही सपा नेताओं के चेहरे पर शिकन उभर आईं।
मात्र तीन वोटों से बाल-बाल शिकस्त बची। जीत की खुशी के साथ ही सपा गलियारों में यह चर्चा भी लगातार गर्म रही। उन छह सदस्यों को पहचानने की कोशिश शुरू हो गई है जो भरोसा दिलाने के बाद भी दांव दे गए।
अध्यक्ष का ताज पहन चुके सपा के महेंद्र सिंह वर्मा खुद इस बात पर हैरतजदा हैं कि एक मुश्त छह वोट उनकी झोली से कैसे खिसक गए?
सपा नेताओं ने चुनाव के लिए बाकायदा संचालन समिति गठित कर दी थी। इसमें विधायक विशंभर सिंह यादव, पूर्व उपाध्यक्ष अशोक सिंह गौर, पूर्व ब्लाक प्रमुख अनूप सिंह व तुलसीराम यादव, महासचिव राजेंद्र यादव, पियूष गुप्ता, दिनेश शर्मा आदि शामिल थे। विधायक सहित समिति के कुछ सदस्यों ने सदस्यों को पटाने के लिए जमकर कवायदें कीं।
उधर, पूर्व अध्यक्ष किरन वर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि वह बसपा के पाले से निकल गईं। उन्होंने सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। मात्र तीन वोटों से चुनाव हार गईं गीता सागर ने भी किरन वर्मा द्वारा उन्हें वोट न दिए जाने की बात कही है। उधर, सपा चुनाव संचालन समिति के एक सदस्य ने नाम न उजागर करने की शर्त के साथ बताया कि कुछ जिला पंचायत सदस्य ऐसे हैं जिनके बारे में दोनों ही तरफ से शंका की जा रही है।