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बांदा। बुंदेलखंड की तपती और खुरदरी धरती पर अब भगवा भारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक अबकी फिर बुंदेलियों के भी सिर पर चढ़कर बोला। बुंदेलियों ने अपने सारे दर्द दरकिनार कर पहले से भी ज्यादा वोटों की बरसात भाजपा के पक्ष में कर दी। कभी बुंदेलखंड की धरती पर लाल परचम के साथ वामपंथी और उसके बाद नीले झंडे के साथ बसपा का कब्जा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां काबिज हुई भाजपा ने अबकी अपनी चादर और ज्यादा फैलाते हुए चारों सीटों पर 24.76 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी की है।
भाजपा को अबकी लोकसभा चुनाव में वर्ष 2014 के चुनाव के मुकाबले 4,84,593 वोट ज्यादा मिले हैं। सिर्फ जालौन सीट पर अबकी भाजपा के वोटों में कुछ गिरावट आई है, लेकिन शेष तीन सीटों पर उसका वोट का ग्राफ बढ़ा है। सबसे ज्यादा 2,30,363 वोट झांसी-ललितपुर सीट पर बढ़े हैं। लोकसभा चुनाव के इतिहास में इस चटियल और पथरीले इलाके में पहली बार किसी पार्टी ने वोटों की इतनी जबरदस्त फसल काटी है।
आमतौर पर बुंदेलखंड के लिए यहां मशहूर है कि यहां चुनाव में जातिगत समीकरण सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, लेकिन इस चुनाव में इस किवदंती और मान्यता को भी खारिज कर दिया। चारों सीटों में हर जाति का कमोवेश वोट भाजपा की झोली में आया। अनुसूचित जाति और पिछड़ों की राजनीति करने वाले सपा-बसपा गठबंधन को बुंदेलियों ने हाशिये पर ला दिया है।
उधर, लोकसभा 2019 के मौजूदा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस चारों सीटों पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी, लेकिन उसके लिए यह तसल्ली और खुशी की बात हो सकती है कि उसने अपने वोट बैंक में पिछले चुनाव के मुकाबले अबकी 29.66 फीसदी बढ़ोतरी की है। अबकी उसे 83,628 वोट अधिक मिले हैं। चारों सीटों पर वोटों में इजाफा हुआ है। वर्ष 2014 में चारों सीटों पर कांग्रेस को 2,81,871 वोट मिले थे। अबकी यह ग्राफ बढ़कर 3,65,499 हो गया है।
एकजुट होकर भी जड़ें न जमा सके सपा-बसपा
बुंदेलखंड में 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में सबसे तगड़ा झटका सपा-बसपा को लगा है। गठबंधन के साथ मिलकर लड़ने वाली इन दोनों पार्टियों के वोट में साढ़े 11 फीसदी की गिरावट आई है। दोनों ही दलों को गुमान था कि यह पथरीला इलाका उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा है, लेकिन पिछले चुनाव 2014 से ही यहां के वोटरों ने अपना रुझान भाजपा की तरफ कर लिया था।
2014 के चुनाव में चारों सीटों पर सपा और बसपा अलग-अलग लड़े थे। इन दोनों को कुल 18,21,024 वोट प्राप्त हुए थे। मौजूदा चुनाव में बुंदेली वोटरों ने इन दोनों पार्टियों को और नीचा दिखाया है। चारों सीटों पर कुल 16,11,366 वोट मिले हैं। यानी पिछले चुनाव से 2,09,658 वोट की गिरावट आई है। सिर्फ बांदा-चित्रकूट सीट में गठबंधन को मामूली बढ़त मिली है। यहां सपा के श्यामाचरण पिछले चुनाव से 2980 वोट ज्यादा पाए हैं। शेष तीनों सीटों पर वोट घटे हैं।
बांदा। बुंदेलखंड की तपती और खुरदरी धरती पर अब भगवा भारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक अबकी फिर बुंदेलियों के भी सिर पर चढ़कर बोला। बुंदेलियों ने अपने सारे दर्द दरकिनार कर पहले से भी ज्यादा वोटों की बरसात भाजपा के पक्ष में कर दी। कभी बुंदेलखंड की धरती पर लाल परचम के साथ वामपंथी और उसके बाद नीले झंडे के साथ बसपा का कब्जा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां काबिज हुई भाजपा ने अबकी अपनी चादर और ज्यादा फैलाते हुए चारों सीटों पर 24.76 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी की है।
भाजपा को अबकी लोकसभा चुनाव में वर्ष 2014 के चुनाव के मुकाबले 4,84,593 वोट ज्यादा मिले हैं। सिर्फ जालौन सीट पर अबकी भाजपा के वोटों में कुछ गिरावट आई है, लेकिन शेष तीन सीटों पर उसका वोट का ग्राफ बढ़ा है। सबसे ज्यादा 2,30,363 वोट झांसी-ललितपुर सीट पर बढ़े हैं। लोकसभा चुनाव के इतिहास में इस चटियल और पथरीले इलाके में पहली बार किसी पार्टी ने वोटों की इतनी जबरदस्त फसल काटी है।
आमतौर पर बुंदेलखंड के लिए यहां मशहूर है कि यहां चुनाव में जातिगत समीकरण सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, लेकिन इस चुनाव में इस किवदंती और मान्यता को भी खारिज कर दिया। चारों सीटों में हर जाति का कमोवेश वोट भाजपा की झोली में आया। अनुसूचित जाति और पिछड़ों की राजनीति करने वाले सपा-बसपा गठबंधन को बुंदेलियों ने हाशिये पर ला दिया है।
उधर, लोकसभा 2019 के मौजूदा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस चारों सीटों पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी, लेकिन उसके लिए यह तसल्ली और खुशी की बात हो सकती है कि उसने अपने वोट बैंक में पिछले चुनाव के मुकाबले अबकी 29.66 फीसदी बढ़ोतरी की है। अबकी उसे 83,628 वोट अधिक मिले हैं। चारों सीटों पर वोटों में इजाफा हुआ है। वर्ष 2014 में चारों सीटों पर कांग्रेस को 2,81,871 वोट मिले थे। अबकी यह ग्राफ बढ़कर 3,65,499 हो गया है।
एकजुट होकर भी जड़ें न जमा सके सपा-बसपा
बुंदेलखंड में 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में सबसे तगड़ा झटका सपा-बसपा को लगा है। गठबंधन के साथ मिलकर लड़ने वाली इन दोनों पार्टियों के वोट में साढ़े 11 फीसदी की गिरावट आई है। दोनों ही दलों को गुमान था कि यह पथरीला इलाका उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा है, लेकिन पिछले चुनाव 2014 से ही यहां के वोटरों ने अपना रुझान भाजपा की तरफ कर लिया था।
2014 के चुनाव में चारों सीटों पर सपा और बसपा अलग-अलग लड़े थे। इन दोनों को कुल 18,21,024 वोट प्राप्त हुए थे। मौजूदा चुनाव में बुंदेली वोटरों ने इन दोनों पार्टियों को और नीचा दिखाया है। चारों सीटों पर कुल 16,11,366 वोट मिले हैं। यानी पिछले चुनाव से 2,09,658 वोट की गिरावट आई है। सिर्फ बांदा-चित्रकूट सीट में गठबंधन को मामूली बढ़त मिली है। यहां सपा के श्यामाचरण पिछले चुनाव से 2980 वोट ज्यादा पाए हैं। शेष तीनों सीटों पर वोट घटे हैं।