बलिया। विश्व पर्यावरण दिवस पर जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं और सामाजिक संगठनों, सरकारी, गैर सरकारी विभागों की ओर से हरे वृक्षों के संरक्षण और पर्यावरण संवर्द्धन पर कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने पर्यावरण के ऊपर उत्पन्न खतरा और इसकी मौजूदा स्थिति पर चिंता प्रकट की।
इसी क्रम में मंगलवार को चंद्रशेखर नगर स्थित शक्ति स्थल शिशु मंदिर के प्रांगण में विद्यालय के बच्चों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संतुलन का संदेश दिया। इस पर उन्होंने संकल्प भी जताया। अलग-अलग वक्ताओं ने बच्चों के इस सामाजिक एवं प्राकृतिक उत्साह की सराहना की। बच्चों को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक दुर्गादत्त त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों द्वारा आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधरोपण करते हुए 101 वृक्षों के रोपण पर संकल्प सामाजिक उत्साह को रेखांकित करता है। इसी क्रम में संत साधना समिति के तत्वावधान में रघुनाथ पुरी टैगोर नगर स्थित कार्यालय पर जल संकट विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की विषय प्रवर्तन करते हुए संचालक भोला प्रसाद आगभनेय ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एवं जल संकट दोनों एकसाथ उभरकर सामने आए हैं। यह स्थिति पूरी दुनिया को विनाश की ओर ले जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिगिं प्रमुख है। इसके चले जल चक्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उधर, राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ की ओर से ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का आयोजन राजकीय बालिका इंटर कालेज में किया गया। संयोजक डा. इफ्तेखार खां ने बताया कि प्रशिक्षण के 16 वें दिन बच्चों ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रकृति में हरे वृक्षों की भूमिका विषयक कलाकृतियों के माध्यम से संदेश दिया। विद्यालय की प्रधानाचार्या दुलेश्वरी राय ने बच्चों को पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में वृक्षों की सिलसिलेवार योगदान पर प्रकाश डाला। इस मौके पर किड्जी स्कूल परिसर में पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता के माध्यम से मेधावियों ने पर्यावरण सुरक्षा की एक मिसाल पेश की। इसी क्रम में क्रमश: एक से पांच, छह से आठ तथा तृतीय समूह में कक्षा नौ से 12वीं तक के मेधावियों ने मूर्तिकारों के मार्गदर्शन में कलाकृतियां तैयार कीं। इस दिशा में वैष्णवी महिला उत्थान समिति की ओर से आवास विकास कालोनी में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के प्रबंधक मीना तिवारी ने कहा कि मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। इसके लिए सबको सामूहिक रूप से पहल करनी चाहिए। विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोगों में 70 फीसदी संख्या महिलाओं की है। यह स्थिति काफी चिंता का विषय है। जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक आपदाएं आती रही हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण है हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई। आज प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की सुरक्षा पर सतर्कता की आवश्यकता है।
बलिया। विश्व पर्यावरण दिवस पर जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं और सामाजिक संगठनों, सरकारी, गैर सरकारी विभागों की ओर से हरे वृक्षों के संरक्षण और पर्यावरण संवर्द्धन पर कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने पर्यावरण के ऊपर उत्पन्न खतरा और इसकी मौजूदा स्थिति पर चिंता प्रकट की।
इसी क्रम में मंगलवार को चंद्रशेखर नगर स्थित शक्ति स्थल शिशु मंदिर के प्रांगण में विद्यालय के बच्चों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संतुलन का संदेश दिया। इस पर उन्होंने संकल्प भी जताया। अलग-अलग वक्ताओं ने बच्चों के इस सामाजिक एवं प्राकृतिक उत्साह की सराहना की। बच्चों को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक दुर्गादत्त त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों द्वारा आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधरोपण करते हुए 101 वृक्षों के रोपण पर संकल्प सामाजिक उत्साह को रेखांकित करता है। इसी क्रम में संत साधना समिति के तत्वावधान में रघुनाथ पुरी टैगोर नगर स्थित कार्यालय पर जल संकट विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की विषय प्रवर्तन करते हुए संचालक भोला प्रसाद आगभनेय ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एवं जल संकट दोनों एकसाथ उभरकर सामने आए हैं। यह स्थिति पूरी दुनिया को विनाश की ओर ले जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिगिं प्रमुख है। इसके चले जल चक्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उधर, राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ की ओर से ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का आयोजन राजकीय बालिका इंटर कालेज में किया गया। संयोजक डा. इफ्तेखार खां ने बताया कि प्रशिक्षण के 16 वें दिन बच्चों ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रकृति में हरे वृक्षों की भूमिका विषयक कलाकृतियों के माध्यम से संदेश दिया। विद्यालय की प्रधानाचार्या दुलेश्वरी राय ने बच्चों को पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में वृक्षों की सिलसिलेवार योगदान पर प्रकाश डाला। इस मौके पर किड्जी स्कूल परिसर में पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता के माध्यम से मेधावियों ने पर्यावरण सुरक्षा की एक मिसाल पेश की। इसी क्रम में क्रमश: एक से पांच, छह से आठ तथा तृतीय समूह में कक्षा नौ से 12वीं तक के मेधावियों ने मूर्तिकारों के मार्गदर्शन में कलाकृतियां तैयार कीं। इस दिशा में वैष्णवी महिला उत्थान समिति की ओर से आवास विकास कालोनी में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के प्रबंधक मीना तिवारी ने कहा कि मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। इसके लिए सबको सामूहिक रूप से पहल करनी चाहिए। विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोगों में 70 फीसदी संख्या महिलाओं की है। यह स्थिति काफी चिंता का विषय है। जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक आपदाएं आती रही हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण है हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई। आज प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की सुरक्षा पर सतर्कता की आवश्यकता है।