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प्रवचन में पति पत्नी के कर्तव्य का कराया बोध

Ballia Updated Sun, 03 Jun 2012 12:00 PM IST
चितबड़ागांव (संवाददाता)। भक्त भगवान के प्रति जो कहता है उसे गीत व जो भगवान भक्त के प्रति कहता है उसे गीता कहते हैं। जैसे रामगीता, कृष्णगीता, शिवगीता आदि है। यह बात रवींद्रनाथ पांडेय ने शुक्रवार को ब्राह्मी बाबा स्थान पर चल रहे महारुद्र यज्ञ के आठवें दिन प्रवचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान, कर्म, भक्ति प्रकाशिनी है। गीत व गीता के बीच जो कोई किसी के प्रति कहता व गाता है वह लाचारी है जो आजकल बड़े पैमाने पर पसंद किया जा रहा है। मानस मर्मज्ञ अमरनाथ त्रिपाठी ने वन गमन प्रसंग के माध्यम से दांपत्य जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति कर्तव्य को समझाते हुए कहा कि वनवास यात्रा में सीता जो सती शिरोमणि हैं, उन्हें थका जान भगवान राम वट वृक्ष की छाया में बैठकर काफी देर तक पैर का कांटा निकालने का बहाना बनाते हैं। ताकि सीता कुछ देर तक और आराम कर लें।

वहीं सीता भी आंचल से प्रभु राम को हवा झलती हैं। वनवास में जगह-जगह के प्रसंग से पति-पत्नी को एक दूसरे के कर्तव्य को समझाने का प्रयास किया। प्रवचन कार्यक्रम के अंतिम दिन होने से यज्ञ समिति के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा कथावाचकों को पुष्प मालाओं से सम्मानित किया गया। अंत में प्रेम मूर्ति उर्फ पागल बाबा ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया।
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