सुरेमनपुर। बैरिया ब्लाक में कोटे की दुकानें बाहुबलियों की हाथों हैं। इसकी वजह से ग्रामीणों को सरकारी केरोसीन तेल का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हद तो तब हो गई जब समस्या पर संज्ञान लेने वाले अधिकारियों ने भी कथित कालाबाजारियों को हरी झंडी दे दी।
बैरिया ब्लाक क्षेत्र में कोटेदार प्रभावशाली एवं दो धड़ों में बंटते नजर आ रहे हैं। कोटे की दुकानों से केरोसीन तेल वितरण करते समय दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि उपभोक्ताओं को सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता। सरकारी दुकानें पूरी तरह बाहुबली एवं कोटा माफियाओं की चंगुल में फंसी पड़ी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सूची तैयार करने में काफी अनियमितता बरती गई। किसी गांव में हजारों उपभोक्ता दिखाकर केरोसीन तेल का प्रत्येक माह में बंदरबांट किया जाता है तो वहीं दूसरी बड़ी आबादी वाले गांवों में जनसंख्या कम दिखाकर गरीबों को इससे वंचित रखा जाता है। इसकी शिकायत पर बीते सात जनवरी 2012 को प्रभारी डीएसओ सुभाषचंद्र श्रीवास्तव ने एक-एक घरों का जायजा लेकर मानक के अनुरूप प्रति पांच व्यक्ति पर एक कार्ड ईश्यू किया। प्रति कार्ड 3.14 लीटर केरोसिन तेल ग्रामीणों को देना था। इस दौरान वितरण शुरू हुआ तो कोटेदारों के साथ ही ग्रामीण भी संतुष्ट थे। लेकिन यह ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रह सकी और चार महीने बीतते-बीतते कोटेदारों की दबाव के आगे विभाग ने घुटने टेकते हुए एक बार फिर त्रुटिपूर्ण पूर्व सूची को हरी झंडी दे दी। इसकी वजह से जहां आज पूरे ब्लाक में सरकारी केरोसीन तेल का वितरण संक्रमण की दौर से गुजर रहा है वहीं अधिकांश गरीब ग्रामीण इस लाभ से अछूते हैं। उधर, सुविधा से वंचित ग्रामीण कालाबाजारी के लिए बाजारों में पहुंच चुकी केरोसीन तेल को 30 से 35 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से खरीद रहे हैं। बैरिया के उपजिलाधिकारी शीतला प्रसाद यादव ने बताया कि बहुत जल्द नए कार्ड बनने वाले हैं। अपने-अपने गांवों में प्रधान एवं सेक्रेटरी जरूरत के मुताबिक कार्ड बनवाएं। उसी के आधार पर तेल का आवंटन किया जाएगा।