बलिया। हृदय संबंधी बीमारियों यानी कार्डियो वैस्कुलर को दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा माना जाता है। जो हर साल 17.3 मिलियन जिंदगियों को मौत की मुंह में धकेल देती है। हाइपर टेंशन (उच्च रक्तचाप) के कारण समय से पहले मौत के लिए ऐसे सबसे बड़े जोखिम घटकों में से एक है, जिसे रोका जा सकता है।
हाइपर टेंशन से संबंधित मौतों में लगभग आधा योगदान उच्च रक्तचाप का होता है। यह बातें डा. आरसी पांडेय ने शीप्ला दवा कंपनी के तत्वावधान में आयोजित हाइपर टेंशन डे पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भारत में उच्च रक्तचाप से 33 फीसदी पुरुष, 30 फीसदी महिलाएं प्रभावित होती हैं। जिससे तीन वयस्क भारतीयों में से एक हाइपर टेंसिव होता है। पाश्चात्य देशों की तुलना में भारत में हाइपर टेंशन बढ़ने के लिए जीवन शैली से जुड़े घटक जैसे निष्क्रियता, धूम्रपान, अत्यधिक वसा का सेवन व फल-सब्जियों का कम सेवन है। जीवन संबंधी बीमारियां जैसे डाइबटिज, मोटापा आदि इसके लिए जिम्मेदार हैं। जागरूकता की कमी और हाइपर टेंशन पर नियंत्रण का अभाव इस समस्या को बढ़ा देते हैं। अभी-अभी हुए इंडियन हार्ट वाच के अध्ययन का उद्धरण देते हुए डा. पांडेय ने कहा कि लगभग एक तिहाई अध्ययन प्रतिभागियों में हाइपर टेंशन पाया गया। इसपर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं।
बलिया। हृदय संबंधी बीमारियों यानी कार्डियो वैस्कुलर को दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा माना जाता है। जो हर साल 17.3 मिलियन जिंदगियों को मौत की मुंह में धकेल देती है। हाइपर टेंशन (उच्च रक्तचाप) के कारण समय से पहले मौत के लिए ऐसे सबसे बड़े जोखिम घटकों में से एक है, जिसे रोका जा सकता है।
हाइपर टेंशन से संबंधित मौतों में लगभग आधा योगदान उच्च रक्तचाप का होता है। यह बातें डा. आरसी पांडेय ने शीप्ला दवा कंपनी के तत्वावधान में आयोजित हाइपर टेंशन डे पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भारत में उच्च रक्तचाप से 33 फीसदी पुरुष, 30 फीसदी महिलाएं प्रभावित होती हैं। जिससे तीन वयस्क भारतीयों में से एक हाइपर टेंसिव होता है। पाश्चात्य देशों की तुलना में भारत में हाइपर टेंशन बढ़ने के लिए जीवन शैली से जुड़े घटक जैसे निष्क्रियता, धूम्रपान, अत्यधिक वसा का सेवन व फल-सब्जियों का कम सेवन है। जीवन संबंधी बीमारियां जैसे डाइबटिज, मोटापा आदि इसके लिए जिम्मेदार हैं। जागरूकता की कमी और हाइपर टेंशन पर नियंत्रण का अभाव इस समस्या को बढ़ा देते हैं। अभी-अभी हुए इंडियन हार्ट वाच के अध्ययन का उद्धरण देते हुए डा. पांडेय ने कहा कि लगभग एक तिहाई अध्ययन प्रतिभागियों में हाइपर टेंशन पाया गया। इसपर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं।