बलिया। गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले के विभिन्न विकास खंडों में जलस्तर नीचे खिसकने लगे हैं। करोड़ों खर्च के बाद भी नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग के अनुरुप पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे लोग परेशान हैं। अगर यही दशा रही तो ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए लोगों को आने वाले दिनों में जूझना पड़ सकता है।
नगर पालिकाओं और नगरपंचायतों की की कुल आबादी तीन लाख 40 हजार 904 है। जबकि 17 विकास खंडों की आबादी 24 लाख 91 हजार 676 शासन स्तर पर उल्लिखित है। बलिया नगर क्षेत्र को छोड़ दें तो अधिकांश अन्य नगर पंचायतों में मांग के सापेक्ष जलापूर्ति की व्यवस्था आजतक सुनिश्चित नहीं कराई गई। लिहाजा भीषण गर्मी में लोग पीने की पानी के लिए बिलबिलाते नजर आ रहे हैं। हैंडपंपों को लगाए जाने में प्रशासन की उदासीनता के चलते उन क्षेत्रों में लोगों को ज्यादा कठिनाई हो रही जहां हैंडपंपों ने पानी छोड़ दिया है। लोगों को पेयजल की सुविधा के लिए 63 किमी पाइप लाइन बिछाई गई है। जिसमें 23 नलकूपों में से 20 नलकूप विभागीय आंकड़ों के मुताबिक संचालित हैं। जबकि तीन नलकूप उदासीनता की वजह से बंद पड़ी हुई हैं। नगर में जलापूर्ति की मांग 20.02 एमएलडी है जबकि आपूर्ति के लिए 22.68 एमएलडी तक प्रक्रिया पूरी की गई है। वहीं, चितबड़ागांव नगर क्षेत्र में 4.03 के सापेक्ष 2.16 ही आपूर्ति दी जा रही है। इस तरह मांग के सापेक्ष 1.87 एमएलडी आपूर्ति कम दी जा रही है। सहतवार नगर पंचायत में कुल जलापूर्ति की डिमांड 3.77 एमएलडी है जिसके सापेक्ष 2.16 एमएलडी उपलब्धता है। उसी तरह रसड़ा नगर पालिका क्षेत्र में कुल मांग 5.81 है। जिसके सापेक्ष 3.24 एमएलडी उपलब्धता है। बांसडीह नगर पंचायत में 3.41 मांग की सापेक्षता के अनुसार 2.16 ही उपलब्धता है। वहीं, रेवती नगर पंचायत में 4.39 एमएलडी मांग के सापेक्ष 2.16 उपलब्धता है। मनियर में 3.74 मांग के सापेक्ष 1.08 एमएलडी जलापूर्ति की जाती है। सिकंदरपुर नगर पंचायत में 4.33 एमएलडी के सापेक्ष 2.16 एमएलडी व बिल्थरारोड नगर पंचायत में 3.43 के सापेक्ष 1.08 एमएलडी जलापूर्ति की जाती है।
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जनता की मांग पर होती है जांच
बलिया। जिले में शुद्ध पानी की आपूर्ति एवं इस दिशा में उसकी शुद्धता पर जांच आदि के लिए कभी खुद के स्तर पर विभाग की ओर से प्रयास नहीं किया जाता और न ही इसके लिए कोई निर्धारित समयावधि है। अधिशासी अभियंता अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जन-शिकायतों के आधार पर ही पेयजल की शुद्धता आदि की जांच की जाती है।