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जानलेवा हमले के मामले में चार को कैद
Ballia
Updated Wed, 16 May 2012 12:00 PM IST
बलिया। जानलेवा हमले के चार आरोपियों के विरुद्ध जुर्म साबित होने पर अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शकील अहमद खां की अदालत में सभी को सात-सात साल की सजा मिली। उक्त मामला रेवती थाना क्षेत्र के छेरीडीह गांव का है।
अभियोजन के अनुसार वादी मुकदमा कमलेश सिंह उर्फ भुअर सिंह निवासी छेरीडीह ने रेवती थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि दिनांक 23 जून 2006 को मेरे सहन की जमीन के बीच नरेंद्रर सिंह, अजय सिंह, भीम सेन सिंह, नमो नरायन सिंह मिट्टी पाट रहे थे। वादी के पिता बलिराम सिंह और उसके चचेरे भाई दुर्गेश द्वारा मना करने पर नरेंद्र सिंह ने राइफल से अजय सिंह, भीमसेन सिंह, नमोनारायन सिंह अपने पास रखे तमंचे से फायर करना शुरू कर दिए। वादी के पिता बलिराम सिंह के दाहिने पैर में गोली लगी और दुर्गेश सिंह के बांए पैर में गोली लगी। शोर पर मेरे ही गांव के जयप्रकाश सिंह, लक्ष्मी सिंह आदि बहुत से लोग आ गए। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ की कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया। साथ ही सभी आरोपियों को सात-सात वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन की ओर से एडीजीसी सुभाष चंद्र यादव और डीएन सिंह तथा बचाव पक्ष से हंशराज तिवारी ने पैरवी की।
बलिया। जानलेवा हमले के चार आरोपियों के विरुद्ध जुर्म साबित होने पर अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शकील अहमद खां की अदालत में सभी को सात-सात साल की सजा मिली। उक्त मामला रेवती थाना क्षेत्र के छेरीडीह गांव का है।
अभियोजन के अनुसार वादी मुकदमा कमलेश सिंह उर्फ भुअर सिंह निवासी छेरीडीह ने रेवती थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि दिनांक 23 जून 2006 को मेरे सहन की जमीन के बीच नरेंद्रर सिंह, अजय सिंह, भीम सेन सिंह, नमो नरायन सिंह मिट्टी पाट रहे थे। वादी के पिता बलिराम सिंह और उसके चचेरे भाई दुर्गेश द्वारा मना करने पर नरेंद्र सिंह ने राइफल से अजय सिंह, भीमसेन सिंह, नमोनारायन सिंह अपने पास रखे तमंचे से फायर करना शुरू कर दिए। वादी के पिता बलिराम सिंह के दाहिने पैर में गोली लगी और दुर्गेश सिंह के बांए पैर में गोली लगी। शोर पर मेरे ही गांव के जयप्रकाश सिंह, लक्ष्मी सिंह आदि बहुत से लोग आ गए। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ की कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया। साथ ही सभी आरोपियों को सात-सात वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन की ओर से एडीजीसी सुभाष चंद्र यादव और डीएन सिंह तथा बचाव पक्ष से हंशराज तिवारी ने पैरवी की।