बैरिया। आजादी के 65 साल बाद भी ब्रिटिश कार्यकाल की जीर्णशीर्ण भवन में स्थानीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्र-छात्राएं पढ़ने को विवश हैं। गर्मी के मौसम में टूटे हुए करकट से धूप व बरसात के मौसम में पानी के बीच कक्षाएं चलाई जाती है। ऐसी व्यवस्था सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को चिढ़ाना नहीं तो और क्या है?
स्थानीय विकास खंड का सबसे पुराना व ऐतिहासिक विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालय बैरिया ब्रिटिश काल के 1890 का बना हुआ है। इन दिनों यह भवन अपनी दयनीय दशा पर आंसू बहा रहा है। वर्तमान में विद्यालय में 378 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनके पठन-पाठन के लिए छह शिक्षक तैनात किए गए हैं। इस उच्च प्राथमिक विद्यालय में कुल पांच कमरें हैं। विद्यालय के कमरों में लगाए गए शेड कई जगह टूट गए हैं जिसके कारण बरसात का पानी कमरे में ही गिरता है। बरसात में विद्यालय अक्सर बंद ही रहता है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस विद्यालय में बच्चों को कितनी गंभीरता से पढ़ाया जाता होगा। शिक्षकों द्वारा कई बार इस ओर विभागीय उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। बावजूद इस जीर्णशीर्ण विद्यालय की किसी ने सुधि नहीं ली। इस बाबत खंड शिक्षा अधिकारी बैरिया गोपाल मिश्र का कहना है कि इस उच्च प्राथमिक विद्यालय का जीर्णशीर्ण भवन के जीर्णोद्धार के लिए शासन से कोई मांग नहीं की गई।