रामपुरकोड़रहा। भीषण गर्मी में संक्रामक बीमारियों ने पांव पसारना आंरभ कर दिया है। बीमारियाें से पीड़ितों की सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में भरमार है। इन बीमारियों के फैलने का प्रमुख कारण जल का प्रदूषित होना माना जा रहा है। पूर्व में शासन स्तर पर जांच के बाद क्षेत्र को आर्सेनिक प्रभावित घोषित किया गया था। हैंडपंपों में वाटर फिल्टर लगाकर आर्सेनिक से मुक्ति पाने का प्रयास किया गया। लेकिन शासन का यह प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा के समान रहा।
द्वाबा क्षेत्र के लोगों को आजादी के छह दशक बाद भी शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं हो सका है। क्षेत्र का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं बचा है जहां का पानी प्रदूषित न हो। अधिकांश गांवों के लोग प्रतिदिन दूषित जल के सेवन को बाध्य हैं। भू-गर्भीय जल में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक होने की पुष्टि जल निगम की ओर से सर्वे कर की जा चुकी है। इंडिया मार्का हैंडपंप का पानी भी सुरक्षित नहीं है। जांच में 50 फीसदी इंडिया मार्का हैंडपंपों को लाल निशान लगाकर हैंडपंप का जल सेवन करने से रोक लगा दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित पानी के लगातार सेवन से पेट संबंधी विभिन्न तरह की बीमारियां शरीर में उत्पन्न हो जाती हैं। भूमिगत जल भी अब प्रदूषित होने से नहीं बच पाए हैं। ऐसे में क्षेत्र के लोग किस जल का सेवन करें, समझ नहीं पा रहे हैं। क्षेत्र के दलछपरा, श्रीपतिपुर, धतुरी टोला, रामपुरकोड़रहा, दोकटी, भगवानपुर, लालगंज, सोनबरसा आदि क्षेत्रों में हैंडपंप तो लगे हैं। लेकिन लाल निशान देखकर खतरा भांप प्यासे अन्य जगह पानी की तलाश वापस लौट जाते हैं। इस तरह सरकार द्वारा हैंड पंपों पर खर्च किए गए लाखों रुपये बेमतलब साबित हो रहे हैं। इस बाबत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीछपरा के प्रभारी चिकित्साधिकारी बीके वर्मा ने बताया कि गर्मी के दिनों में लोगों को पानी उबालकर या फिल्टर कर सेवन करना चाहिए।