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बलिया। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सर्वशिक्षा अभियान के तहत बालिकाओं को शिक्षा के साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण देने की दो योजनाएं अधर में लटक गई हैं। इसके तहत आईं दो योजनाओं का चार करोड़ 97 लाख रुपये शासन को लौटा दिए गए हैं। ये योजनाएं गांव की गुरबत में जीने वाले छात्राओं को फल संरक्षण और सिलाई-कढ़ार्ई का प्रशिक्षण देने के लिए लागू हुई थीं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्राओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए सर्वशिक्षा के तहत दो योजनाएं बीते पांच सालों से चलाई जा रही थीं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को चलाने के लिए आठ विभागों की समिति गठित की गई थी। जिसमें डायट प्राचार्य को पदेन अध्यक्ष एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सचिव नियुक्त करते हुए आठ विभागों के अधिकारियों को सदस्य नियुक्त किया गया था। जिसमें फल संरक्षण अधिकारी, उद्योग विभाग, खादी ग्रामोद्योग सहित आठ विभागों के अधिकारियों की सहमति से छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाना था। सत्र 2012-13 के लिए एनपीईजीएल स्कीम का तीन करोड़ बीस लाख चार सौ रुपये और बालिका शिक्षा नवाचार के तहत एक करोड़ 71 लाख तीन सौ रुपये का बजट शिक्षा विभाग में भेजा गया था। इस कार्यक्रम को फल संरक्षण विभाग को चलाना था।अधिकारियों की उदासीनता के चलते इस प्रशिक्षण के लिए आवेदन आने से पूर्व ही बजट को वापस कर दिया गया। ऐसे में सर्वशिक्षा अभियान के तहत आए धन से जिले की छात्राओं को हुनरमंद बनाने की कवायद अधर में लटक गई।
बलिया। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सर्वशिक्षा अभियान के तहत बालिकाओं को शिक्षा के साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण देने की दो योजनाएं अधर में लटक गई हैं। इसके तहत आईं दो योजनाओं का चार करोड़ 97 लाख रुपये शासन को लौटा दिए गए हैं। ये योजनाएं गांव की गुरबत में जीने वाले छात्राओं को फल संरक्षण और सिलाई-कढ़ार्ई का प्रशिक्षण देने के लिए लागू हुई थीं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्राओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए सर्वशिक्षा के तहत दो योजनाएं बीते पांच सालों से चलाई जा रही थीं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को चलाने के लिए आठ विभागों की समिति गठित की गई थी। जिसमें डायट प्राचार्य को पदेन अध्यक्ष एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सचिव नियुक्त करते हुए आठ विभागों के अधिकारियों को सदस्य नियुक्त किया गया था। जिसमें फल संरक्षण अधिकारी, उद्योग विभाग, खादी ग्रामोद्योग सहित आठ विभागों के अधिकारियों की सहमति से छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाना था। सत्र 2012-13 के लिए एनपीईजीएल स्कीम का तीन करोड़ बीस लाख चार सौ रुपये और बालिका शिक्षा नवाचार के तहत एक करोड़ 71 लाख तीन सौ रुपये का बजट शिक्षा विभाग में भेजा गया था। इस कार्यक्रम को फल संरक्षण विभाग को चलाना था।अधिकारियों की उदासीनता के चलते इस प्रशिक्षण के लिए आवेदन आने से पूर्व ही बजट को वापस कर दिया गया। ऐसे में सर्वशिक्षा अभियान के तहत आए धन से जिले की छात्राओं को हुनरमंद बनाने की कवायद अधर में लटक गई।