बलिया। डीआईओएस की ओर से छह दिन पहले राजकीय इंटर कॉलेज के व्यवसायिक शिक्षक का चयन निरस्त कर मुकदमा दर्ज कराने के आदेश के बाद इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जांच टीम व उनकी जांच को लेकर सवाल उठाया है। बताया है मामले में उक्त शिक्षक के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई किया जाना उचित नहीं है इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक से अग्रेतर निर्देश मांगा गया है।
राजकीय इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक धनंजय पांडेय की ओर से करीब दो साल पहले जिला विद्यालय निरीक्षक को शिकायती पत्र देकर व्यवसायिक शिक्षा योजना के तहत फोटोग्राफी ट्रेड में चयनित अतिथि विषय विशेषज्ञ अजीत सिंह के खिलाफ जांच की मांग की थी। तत्कालीन जिविनि की ओर से 15 मई 17 को जांच समिति गठित कर जांच कराई गई। टीम ने जांच आख्या में बताया कि अजीत सिंह का मनोनयन शासनादेश के प्रतिकूल है। इसके बाद जिविनि की ओर से राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य को पत्र भेज कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। लेकिन कार्रवाई नहीं की गई थी। छह दिन पहले इस मामले में जिविनि ने स्पष्ट किया कि मामले में कोई स्थगन आदेश नहीं है और आदेश दिया कि अजीत सिंह का चयन निरस्त किया जाए। यह भी कहा कि उक्त से मानदेय भुगतान की वसूली की जाए। पत्र मिलने के बाद राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जिविनि को पत्र भेजा है और बताया है कि पूर्व में तत्कालीन प्रधानाचार्य अतुल कुमार सिंह की ओर से 28 जुलाई 2017 को पत्र भेज मार्गदर्शन मांगा लेकिन नहीं मिला। यह भी बताया कि तत्कालीन जिविनि के आदेश को शिक्षा निदेशक की ओर से 12 जुलाई 2017 को ही शासकीय नियमों के अनुकूल नहीं होने व विधि शून्य बताया जा चुका है। प्रधानाचार्य ने जांच पर सवाल भी उठाया है। बताया है कि जांच टीम में शामिल रहे लोगों से तत्कालीन प्रधानाचार्य वरिष्ठ हैं और जांच समिति पूर्णतया अवैधानिक है। यह भी बताया है कि जांच एकपक्षीय है, तत्कालीन प्रधानाचार्य का बयान नहीं लिया गया है, अजीत कुमार सिंह को पक्ष प्रस्तुत करने का मौका नहीं दिया गया है, केवल संदेह के आधार पर अजीत कुमार सिंह व धीरेंद्र कुमार पांडेय का अंक पत्र शीलन किया गया है समेत कुल सात बिंदुओं को उठाया है।
बलिया। डीआईओएस की ओर से छह दिन पहले राजकीय इंटर कॉलेज के व्यवसायिक शिक्षक का चयन निरस्त कर मुकदमा दर्ज कराने के आदेश के बाद इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जांच टीम व उनकी जांच को लेकर सवाल उठाया है। बताया है मामले में उक्त शिक्षक के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई किया जाना उचित नहीं है इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक से अग्रेतर निर्देश मांगा गया है।
राजकीय इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक धनंजय पांडेय की ओर से करीब दो साल पहले जिला विद्यालय निरीक्षक को शिकायती पत्र देकर व्यवसायिक शिक्षा योजना के तहत फोटोग्राफी ट्रेड में चयनित अतिथि विषय विशेषज्ञ अजीत सिंह के खिलाफ जांच की मांग की थी। तत्कालीन जिविनि की ओर से 15 मई 17 को जांच समिति गठित कर जांच कराई गई। टीम ने जांच आख्या में बताया कि अजीत सिंह का मनोनयन शासनादेश के प्रतिकूल है। इसके बाद जिविनि की ओर से राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य को पत्र भेज कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। लेकिन कार्रवाई नहीं की गई थी। छह दिन पहले इस मामले में जिविनि ने स्पष्ट किया कि मामले में कोई स्थगन आदेश नहीं है और आदेश दिया कि अजीत सिंह का चयन निरस्त किया जाए। यह भी कहा कि उक्त से मानदेय भुगतान की वसूली की जाए। पत्र मिलने के बाद राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जिविनि को पत्र भेजा है और बताया है कि पूर्व में तत्कालीन प्रधानाचार्य अतुल कुमार सिंह की ओर से 28 जुलाई 2017 को पत्र भेज मार्गदर्शन मांगा लेकिन नहीं मिला। यह भी बताया कि तत्कालीन जिविनि के आदेश को शिक्षा निदेशक की ओर से 12 जुलाई 2017 को ही शासकीय नियमों के अनुकूल नहीं होने व विधि शून्य बताया जा चुका है। प्रधानाचार्य ने जांच पर सवाल भी उठाया है। बताया है कि जांच टीम में शामिल रहे लोगों से तत्कालीन प्रधानाचार्य वरिष्ठ हैं और जांच समिति पूर्णतया अवैधानिक है। यह भी बताया है कि जांच एकपक्षीय है, तत्कालीन प्रधानाचार्य का बयान नहीं लिया गया है, अजीत कुमार सिंह को पक्ष प्रस्तुत करने का मौका नहीं दिया गया है, केवल संदेह के आधार पर अजीत कुमार सिंह व धीरेंद्र कुमार पांडेय का अंक पत्र शीलन किया गया है समेत कुल सात बिंदुओं को उठाया है।