बहराइच। स्वास्थ्य विभाग में घोटाले के मामले में पयागपुर के पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव के खिलाफ शासन को एक जांच रिपोर्ट भेजी गई है। इसी आधार पर पयागपुर विधायक सुभाष त्रिपाठी ने मामले में एसआईटी या विजिलेंस जांच की मांग की है। यह जांच आईएएस मार्कंडेय शाही ने की थी, जिसमें पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव द्वारा स्वास्थ्य विभाग में किए गये घोटाले को उजागर किया गया। जांचकर्ता आईएएस मार्कंडेय शाही ने इस बात पर बल दिया कि समयबद्ध कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के दोषी कार्मिकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई बेहद जरूरी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरा स्वास्थ्य महकमा शासन के निर्देशों को धता बताते हुए आरोपी मुकेश श्रीवास्तव के पक्ष में काम करता रहा।
पयागपुर के पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव का नाम गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती व सिद्धार्थनगर में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में किए गये घोटाले में आया था। मामले में कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह व तरबगंज विधायक प्रेमनारायण पांडेय सहित बीजेपी संगठन से जुड़े नेताओं ने शिकायत की थी। इस शिकायत पर आईएएस मार्केंडेय शाही ने जांच की थी जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव रविंद्र ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र लिखकर कार्रवाई की संस्तुति की। जांच रिपोर्ट में कई बार लिखा गया है कि पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव को टेंडर देने में विभागीय स्वास्थ्य कर्मचारियों का काफी सहयोग रहा।
गोंडा जिले के एक प्रकरण में यह तथ्य सामने आया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 50 नवीन केंद्रों और उपकेंद्रों के लिए 18 अदद सामग्री क्रय करने की अनुमति सीएमओ ने 20.01.2021 को दी थी। यह सामग्री 4.03.2021 को जेम पोर्टल के माध्यम से क्रय की गई थी। मामले में 30.03.2021 को वित्त एवं लेखाधिकारी ने नोटशीट पर टिप्पणी अंकित की कि उपकेंद्रों के निर्माण के बाद यह सामग्री क्रय की जानी चाहिए थी जबकि इसे पहले ही खरीद लिया गया। आख्या में स्पष्ट किया गया है कि उक्त क्रय की गई सामग्री की मात्रा भी नोटशीट पर नहीं दर्शाई गई है। साथ ही कोई मांग पत्र भी उपलब्ध नहीं कराया गया। उक्त सामग्री किस मांगपत्र के क्रम में खरीदी गई है इसका भी उल्लेख नहीं है।
जांच में यह भी आया है कि कई दवा आपूर्तिकर्ता फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाने की नीयत से नियमों और प्रक्रिया की घोर अनदेखी की गई है। जांचकर्ता द्वारा एक स्थान पर लिखा गया है कि सीएमएसडी स्टोर के निरीक्षण एवं मांगपत्रों के अवलोकन में पाया गया कि स्टोर से सीएचसी एवं पीएचसी को उपलब्ध कराई गई सामग्रियों के शत-प्रतिशत मांगपत्र नहीं मिले। यही नहीं मांगपत्र पर इंचार्ज डॉक्टर की अनुमति के बिना ही सामग्रियों का वितरण किया गया। जांच के दौरान समिति के समक्ष स्टॉक रजिस्टर, वितरण रजिस्टर तथा क्रय संबंधी पत्रावली प्रस्तुत नहीं की गई।
जांच आख्या में यह भी उल्लिखित है कि पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी अथवा किसी बड़ी जांच एजेंसी से कराई जाए। जल्द ही इस प्रकरण पर कार्रवाई करने का विचार किया जा रहा है। इस सरकार में कोई भी भ्रष्टाचारी बचेगा नहीं। -सुभाष त्रिपाठी, विधायक, पयागपुर